BIRTH ANNIVERSARY of Naseem Banu!!! भारतीय सिनेमा का वो नाम जिनके दीवाने थे 1930 के सभी दशक…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:नसीम बानु, जिनका असली नाम रॉशनारा बेगम था, भारतीय सिनेमा की एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री थीं। उनका जन्म 4 जुलाई 1916 को दिल्ली में हुआ था। नसीम बानु का भारतीय फिल्म उद्योग में योगदान उल्लेखनीय है और उन्हें भारतीय सिनेमा की पहली “फैशन क्वीन” कहा जाता है।

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नसीम बानु का जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता, नवाब सिद्दीकी, एक शाही परिवार से थे और उनकी माता, शम्सुन्निसा बेगम, भी एक प्रतिष्ठित परिवार से थीं। नसीम बानु की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई, जहां उन्होंने पारंपरिक इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ अंग्रेजी शिक्षा भी प्राप्त की।

नसीम बानु का फिल्मी करियर 1930 के दशक में शुरू हुआ। उनकी पहली फिल्म “सोहराब मोदी” द्वारा निर्देशित “खूनी जुल्फें” (1935) थी। इस फिल्म में उनके अभिनय ने दर्शकों और आलोचकों का ध्यान खींचा। इसके बाद उन्होंने कई प्रमुख फिल्मों में अभिनय किया और जल्दी ही एक प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित हो गईं।

1. पूरन भगत (1933)- नसीम बानु की पहली प्रमुख फिल्म थी, जिसमें उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता का परिचय दिया।

2.बसंत (1942) – इस फिल्म में नसीम बानु ने मुख्य भूमिका निभाई और उनकी अदाकारी को बहुत सराहा गया।

3. नूरजहाँ (1931) – यह फिल्म भारतीय सिनेमा की एक महत्वपूर्ण फिल्म मानी जाती है, जिसमें नसीम बानु ने बेहतरीन अभिनय किया।

नसीम बानु का विवाह एक रॉयल फैमिली से संबंधित मेजर सरदार खान से हुआ था। उनके दो बच्चे हुए, जिनमें से उनकी बेटी, सायरा बानो, भी भारतीय सिनेमा की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री बनीं। नसीम बानु ने अपनी बेटी सायरा बानो को अभिनय की दुनिया में आने के लिए प्रेरित किया और उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश करने में मदद की।

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नसीम बानु को भारतीय सिनेमा की पहली “फैशन क्वीन” कहा जाता है। वे अपनी खूबसूरती और फैशन के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने भारतीय सिनेमा में फैशन के नए मानदंड स्थापित किए और अपनी फिल्मों में शानदार कॉस्ट्यूम्स और स्टाइल के माध्यम से एक नई पहचान बनाई। उनके द्वारा पहने गए कॉस्ट्यूम्स और ज्वेलरी आज भी याद किए जाते हैं।

नसीम बानु न केवल एक सफल अभिनेत्री थीं, बल्कि वे एक समाजसेवी भी थीं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक कार्यों में भाग लिया और समाज के कमजोर वर्गों की सहायता की। वे महिला अधिकारों और शिक्षा के लिए भी काम करती थीं।

नसीम बानु का निधन 18 जून 2002 को हुआ, लेकिन उनका योगदान और उनकी यादें आज भी जीवित हैं। वे भारतीय सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा थीं जिन्होंने न केवल अपने अभिनय से, बल्कि अपने फैशन और समाज सेवा से भी लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया।

नसीम बानु का जीवन और करियर हमें यह सिखाता है कि मेहनत, समर्पण और प्रतिभा से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। वे भारतीय सिनेमा की एक ऐसी चमकती हुई सितारा थीं, जिनकी रोशनी आज भी हमारी फिल्मों और यादों में झलकती है।

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