जीवन के सभी क्षेत्रों में एआई प्रवेश कर चुका है: डॉ. नंदजी कुमार…

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लोक आलोक सेंट्रल डेस्क: बीते दिन एलबीएसएम कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के अंतिम दिन टेक्निकल सत्र के रिसोर्स पर्सन मगध यूनिवर्सिटी, बोध गया के पूर्व कुलपति डॉ. नंदजी कुमार ने ‘प्रॉस्पेक्टस एंड चैलेंजेज ऑफ आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस टू विकसित भारत,2047’’ विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा जीवन के सभी क्षेत्रों में एआई प्रवेश कर चुका है। ए.आई. एक सशक्त एवं संभावनाशील तकनीक है जिससे भारत को विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त हो सकते हैं। जैसा कि विदित है कि भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता का 100 वां साल मना रहा होगा, तब तक भारत आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बन सकता है। इसके लिए नई पीढ़ी को आगे आना होगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग सीखना होगा, साथ ही उसका व्यापक प्रसार करना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी नई राह में कठिनाइयां आती हैं, पर उससे संघर्ष करना पड़ता है, तभी मंजिल मिल पाती है। हमें सारी मुश्किलातों से लड़ना है। हमारे देश को बहुत कुछ व्यवस्थित करना होगा, उपलब्धियां हासिल करनी होगी। हमें वहां पहुंचना है जहां विकसित देश पहुंचे हुए हैं।

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उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता चैटबोट और उसकी क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एआई चैटबोट जैसे कई चैटबोट होते हैं जो मशीन लर्निंग से लेकर कई तरह की एआई तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं- जिसमें एल्गोरिदम, फीचर और डेटा सेट शामिल होते हैं – जो समय के साथ प्रतिक्रियाओं को अनुकूलित करते हैं। चैटबोट बनाने के लिए, डेवलपर्स सी, सीप्लस प्लस, पायथन, जावा, एलआईएसपी, जुलिया और मटलब जैसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग करते हैं। हालाँकि इससे संबंधित कई चुनौतियाँ और जोखिम भी हैं जिसको प्रभावशाली तकनीकी युक्तियों से हल करना आवश्यक है।

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स्वामी चिदात्मन वेद विज्ञान अनुसंधान केंद्र, सिरसा, नेपाल के निदेशक प्रेम जी ने पारंपरिक ज्ञान और एआई के संबंध अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मानव की क्षमताएं कम नहीं होतीं। मानव ने ही एआई का आविष्कार किया है और आगे भी नये आविष्कार करेगा। इस सत्र में दूसरे रिसोर्स पर्सन दिव्यांश ने जर्मनी से ऑन लाइन शोधपत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने पूरी दुनिया में बढ़ते एआई के प्रयोग, उसकी संभावनाओं और उससे संबंधित आशंकाओं पर विस्तार से अपने विचार रखे। आज ऑन लाइन और ऑफ लाइन माध्यम से शेष सारे शोध आलेख प्रस्तुत किये गए। टेक्निकल सत्र में विषय प्रवर्त्तन वाणिज्य विभाग, एलबीएसएम के प्रो. विनोद कुमार ने किया। अंग्रेजी विभागाध्यक्ष एवं आईक्यूएसी की समन्वयक डॉ. मौसमी पॉल ने इस सत्र के समन्वयक की जिम्मेवारी निभायी। प्रतिवेदक भूगोल की विभागाध्यक्ष और एनसीसी आफिसर प्रो. रितु थीं।

विदाई सत्र में सबसे पहले एलबीएसएम कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. पुरुषोत्तम प्रसाद ने स्वागत वक्तव्य दिया। उसके बाद डॉ. नंदजी कुमार, कोऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य और विश्वविद्यालय के सिनेट मेेंबर डॉ. अमर सिंह, घाटशिला कॉलेज के प्राचार्य और नवनियुक्त सीसीडीसी डॉ. आर.के. चौधरी, कोल्हान विश्वविद्यालय के ओएसडी विष्णु शंकर सिन्हा और नवनियुक्त सिनेट सदस्य ब्रजेश कुमार को सम्मानित किया गया। एलबीएसएम कॉलेज के द्वारा टुकॉन रिसर्च एंड डेवलपमेंट के सदस्यों को सम्मानित किया गया और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया गया।

इस सत्र के अध्यक्ष एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार झा ने कहा कि संगोष्ठी का उद्देश्य शोधार्थियों में जिज्ञासा उत्पन्न करना होता है, जिससे उन्हें अनुसंधान में मदद मिले और वे अपनेे अनुसंधान के माध्यम से समाज को लाभान्वित कर सके। मुझे लगता है इस दृष्टि से यह सेमिनार सार्थक है।

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धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सेमिनार के संयोजक डॉ. विजय प्रकाश ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी वैश्विक संदर्भ में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभाव और चुनौतियां जैसे आधुनिक एवं प्रासंगिक विषय पर केंद्रित थी, जो हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है। इसका उद्देश्य न केवल इसके तकनीकी पक्षों को समझना था, बल्कि सामाजिक, नैतिक और भविष्य में होने वाले प्रभावों और चुनौतियों पर भी विचार करना था। मुझे आशा है कि यह सेमिनार सभी शोधार्थियों और प्रतिभागियों के लिए ज्ञानवर्द्धक और प्रेरणादायक सिद्ध हुआ होगा। अंत में उन्होंने आयोजन की तैयारी से संबद्ध सभी समितियों के संयोजकों और सदस्यों को बधाई दी।

वहीं ऑनलाइन तकनीकी सत्र का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने किया। उन्होंने ऑनलाइन से जुड़े सभी प्रतिभागियों का आभार जताया और कहा कि आपके सक्रिय सहयोग, जिज्ञासा और सकारात्मक सहभागिता के कारण ही यह सत्र सफल हो पाया। हम आशा करते हैं कि आपको यह सत्र ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक लगा होगा।

सेमिनार के विदाई सत्र में डॉ. संचिता भुईंसेन, डॉ. दीपंजय श्रीवास्तव, प्रो. अरविंद पंडित,डॉ. जया कच्छप, डॉ. स्वीकृति, प्रो. संतोष राम, डॉ. रानी, प्रो. प्रमिला किस्कू, डॉ. शबनम परवीन, डॉ. सुधीर कुमार, प्रो. मोहन साहू, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. प्रशांत, प्रो . संजीव,प्रो. शिप्रा बोयपाई, प्रो. चंदन जायसवाल, प्रो. अनिमेष, प्रो. लुसी रानी मिश्रा, प्रो. जसमी सोरेन, प्रो. नवनीत कुमार सिंह, प्रो. प्रिया कुमारी, प्रो. कल्याणी झा, प्रो. सुरभी, प्रो. शोभा मुवाल, प्रो. सोनम वर्मा, प्रो. अनामिका सिंह, प्र्रो. श्वेता शर्मा, सौरभ कुमार वर्मा, विनय कुमार, राजेश कुमार, छायाकार सागर मंडल और बड़ी संख्या में छात्र मौजूद थे।

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सेमिनार के दौरान सन्नी घोष, शीतल मुखी, बाहा सोरेन, रचित भारद्वाज, श्रेया पॉल और लिसा सेन ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का समापन राष्ट्रगान से हुआ।

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