Adityapur: मां दुर्गा के विपद तारिणी रूप की भक्तों ने की पूजा, श्रद्धा भक्ति के माहौल में विपद तारिणी व्रत संपन्न….

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आदित्यपुर: परिवार की मंगल कामना के लिए मंगलवार को आदित्यपुर सहित संपूर्ण जिले में मां विपद तारिणी की धूमधाम से पूजा-अर्चना की गई. पूजा को लेकर महिलाओं ने उपवास रखा और 13 प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाकर भगवान की पूजा की और परिवार की खुशहाली की कामना की. विपद तारिणी पूजा को लेकर आदित्यपुर स्थित राम मड़ैया बस्ती के हनुमान मंदिर एवम जिले के अन्य मंदिरों में सुबह से ही महिलाओं की लंबी कतार लगी रही. उपवास रखने वाली महिलाओं ने 13 तरह के पकवानों से मां विपद तारिणी की पूजा-अर्चना कर परिवार की खुशहाली की कामना की. बंगाली अधिकतर इस क्षेत्र में लोगों ने मां दुर्गा के विपद तारिणी रूप की पूजा की कथा सुनकर परिवार की खुशहाली की कामना की. कथा श्रवण के दौरान पंडित ने बताया कि वर्षों पूर्व अवंतीनगर में कर्मदास नामक ब्राह्मण रहता था, जो भिक्षाटन कर जीवन व्यतीत करता था. उनकी पत्नी स्वाहा ने एक केवट से मछली खरीदी, लेकिन तय समय में पैसा नहीं चुका पाने पर केवट ने ब्राह्मणी को खूब बुरा-भला कहा. अपमानित ब्राह्मणी ने रोते-रोते माता दुर्गा का स्मरण किया. कुछ देर बाद माता दुर्गा ने बुढ़िया का रूप धारण कर उसके दरवाजे पर आकर कष्ट पूछा. कष्ट सुनकर बुढ़िया ने उसका घर धन से भर दिया. जब ब्राह्मण घर लौटा तो आश्चर्यचकित हो गया.

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राम मड़ैया बस्ती एवं आसपास के कई गांवों में मंगलवार को विपद तारिणी पूजा धूमधाम के साथ मनाई गई. क्षेत्र के अधिकतर बंगाली परिवार ने त्योहार में बढ़ चढकर हिस्सा लिया. सुबह से ही स्थानीय मंदिरों में साफ सफाई कर विधि पूर्वक देवी विपद तारिणी की पूजा की गई. सुबह से ही पूजा सामग्री की दुकानों में भीड़ देखी गई.

 

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बंगाली समुदाय के लोगों में दिखा उत्साह

 

आदित्यपुर वार्ड 18 के राम मड़ैया बस्ती स्थित हनुमान दुर्गा मंदिर में मंगलवार को श्रद्धा से देवी विपद तारिणी की पूजा की गई. इस अवसर पर काफी संख्या में महिलाओं ने देवी विपद तारिणी की पूजा की. सुबह से ही मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना को लेकर महिलाओं की भीड़ जमा होने लगी. सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने पूजा में हिस्सा लिया. पूजा आयोजन को लेकर बस्ती व आस पास के बंगाली समाज में काफी उत्साह दिखा.

 

 

वही पूजा के संबंध में पंडित श्यामसुंदर महंती ने बताया मां विपत्तारिणी मां काली का ही एक अन्य स्वरूप हैं. विपत्तारिणी पूजा में संख्या ’13 का विशेष महत्व है. इस पूजा में वरदसूत्र (रक्षासूत्र) बांधने की परंपरा है, जो 13 दूब से तैयार किया जाता है. महिलाए उपवास रखकर इसे तैयार करते है. मान्यता है कि यह सूत्र बांधने से पति व संतान पर आनेवाली हर विपत्ति टल जाती है. जिनके विवाह में कठिनाई आ रही वे भी इस दिन मां विपत्तारिणी से मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा-आराधना करते हैं. विपत्ततारिणी मंत्र- ऊं ह्रीं विपत्तारिणी दुर्गायै नमः, के मंत्रोच्चार से श्रद्धालुओं मां से हर तरह की विपत्ति हरने की प्रार्थना की. मां विपत्तारिणी को 13 तरह के फल, फूल, मिठाई, पान, सुपारी व दूब का भोग लगाया गया.

 

 

उन्होंने ये भी कहा विपत्ति से छुटकारा पाने के लिए मां विपद तारिणी की पूजा की जाती है. पूजा के बाद लोगों के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया. विदित हो कि राम मड़ैया बस्ती स्थित हनुमान मंदिर में हर वर्ष देवी विपद तारिणी की पूजा की जाती है. पूजा में आदित्यपुर के अलावा अन्य स्थान से काफी संख्या में महिलाएं पूजा में शामिल होती हैं.

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