श्री राम के नाम पर शहीद हुए समस्त भक्तो को श्रंद्धाजलि युक्त कुछ पंक्तिया: अनुज्योंक्त कुमार

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श्री राम नाम की धूम त्रेतायुग से…

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मानव रूप में मानवता का पाठ पढ़ाये…

अहंकारियो का अहंकार मर्द न किये…

आतताइयों का दमन किये…

कलयुग कालखंड के आते ही…

जन्मस्थली भी अछूती न रह पाई…

बड़े ही विध्वंश हुए श्रीराम…

कई भक्त राम धुन में खून से लथपथ स्वर्ग सिधारे…

कई बलपूर्वक भक्ति से विमुख किये गए…

सनातनियों की आस्था को कुचलने का कुत्सित प्रयास हुआ…

आर्यो की धरती कराह उठी…

 

आज़ादी के बाद तो तुम्हारे अस्तित्व पर ही सवाल उठ खड़े हुए…

पर युगपुरुष का आगमन हो गया…

विश्व में श्रीराम नाम गुंजायमान हो गया…

ऐसा कुछ करो सब के श्रीराम …

देश से हो राजनीति को प्यार…

वो प्रत्यक्ष राजतंत्र खत्म हुआ —

अब देश राजनीति के हवाले…

अघोसित राजतंत्र स्थापना के लिए…

देश की आनबान अब धूमिल…

अब संस्कृति शिक्षा और रक्षा राजनीतिक गुनाह…

अब वो वक़्त है…

जब श्रीराम नाम से पहले…

राजनीति अपना अपना और बिना मेहनत परिवार का भविष्य तलाशती…

 

ऐसे राजनीतिक का अंत देश सुरक्षा और मानवता के लिए जरूरी…

भक्तो के पुर्वजो के आत्मा शांति के लिए जरूरी…

बिमुख किये गए भक्तो को राह दिखाना जरूरी…

 

ऐसा आशीर्वाद ही हर कालखण्ड के शहीद रामभक्त को श्रंद्धाजलि

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