क्या भारत में AI से जुड़े खतरे से निपटने के लिए पर्याप्त कानून हैं? जानिए किन संस्थाओं की है जिम्मेदारी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने तकनीकी विकास के एक नए युग की शुरुआत की है। AI ने न केवल हमारी जीवनशैली को सरल बनाया है, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व बदलाव लाए हैं। हालांकि, इस तकनीक से जुड़े कई खतरे भी सामने आए हैं। डेटा सुरक्षा, साइबर अपराध, रोजगार के अवसरों में कमी और नैतिकता से जुड़े सवाल AI के कारण उत्पन्न हो रहे प्रमुख मुद्दे हैं। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारत में AI से जुड़े खतरों को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त कानून हैं या नहीं और इसके लिए कौन-सी संस्थाएं जिम्मेदार हैं।
भारत में AI और कानूनों की वर्तमान स्थिति
भारत में AI को नियंत्रित करने के लिए फिलहाल कोई विशिष्ट कानून नहीं है। हालांकि, कुछ मौजूदा कानून और नीतियां AI से जुड़े खतरों को आंशिक रूप से कवर करते हैं। इनमें मुख्य रूप से डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा से जुड़े प्रावधान शामिल हैं।
1. डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023
यह कानून व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है। हालांकि, यह AI के व्यापक उपयोग, स्वचालित निर्णय लेने और एल्गोरिदम की पारदर्शिता पर ध्यान केंद्रित नहीं करता।
2. IT एक्ट, 2000
यह कानून साइबर अपराधों और ऑनलाइन सुरक्षा से संबंधित है। हालांकि, AI आधारित साइबर हमलों और नए प्रकार के खतरों को कवर करने के लिए इसमें सुधार की आवश्यकता है।
3. श्रम कानून और रोजगार से जुड़े प्रावधान
AI के कारण रोजगार के अवसरों में कमी आने की आशंका है। इसके लिए श्रम कानूनों को अद्यतन करने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने पर ध्यान देने की जरूरत है।
AI के खतरों से निपटने की जिम्मेदारी किनकी है?
नीति आयोग
नीति आयोग ने AI के विकास और उपयोग के लिए ‘नेशनल AI स्ट्रैटेजी’ तैयार की है। इसमें AI के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया गया है, लेकिन इसके खतरों से निपटने के लिए कोई ठोस कानूनी रूपरेखा नहीं है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय (MeitY)
यह मंत्रालय AI के विकास और इसके सुरक्षित उपयोग के लिए जिम्मेदार है। MeitY डेटा संरक्षण और साइबर सुरक्षा नीतियों के तहत AI खतरों से निपटने का काम करता है।
भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी (CERT-In)
CERT-In साइबर खतरों और AI आधारित साइबर हमलों की निगरानी करता है। यह एजेंसी AI के कारण उत्पन्न साइबर अपराधों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
न्यायपालिका और मानवाधिकार आयोग
AI के कारण उत्पन्न नैतिक और कानूनी विवादों का निपटारा न्यायपालिका और मानवाधिकार आयोग की जिम्मेदारी है।
भारत में AI से जुड़े प्रमुख खतरे
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता
AI बड़े पैमाने पर डेटा का उपयोग करता है। यदि यह डेटा गलत हाथों में चला जाए, तो गोपनीयता का उल्लंघन और डेटा दुरुपयोग का खतरा बढ़ सकता है। - साइबर अपराध और सुरक्षा
AI आधारित साइबर हमलों, जैसे कि फेक न्यूज, डीपफेक और स्पूफिंग, से सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है। - रोजगार में कमी
AI के कारण ऑटोमेशन बढ़ने से पारंपरिक नौकरियों में कमी आ सकती है। - नैतिकता और भेदभाव
AI एल्गोरिदम में बायस (bias) और भेदभाव का खतरा रहता है, जिससे समाज में असमानता बढ़ सकती है। - राष्ट्रीय सुरक्षा
AI का उपयोग साइबर युद्ध और आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
चुनौतियां और समाधान
1. AI के लिए समर्पित कानूनों की कमी
भारत में AI के लिए कोई विशेष कानूनी ढांचा नहीं है। समाधान के तौर पर सरकार को AI से जुड़े खतरों को कवर करने वाले समर्पित कानून बनाने चाहिए।
2. तकनीकी विशेषज्ञता की कमी
AI खतरों की निगरानी और नियंत्रण के लिए विशेषज्ञता की कमी है। समाधान के लिए AI विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करना और संस्थानों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
3. जागरूकता की कमी
AI के खतरों और इसके सुरक्षित उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की जरूरत है।
4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
AI खतरों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग और मानकों को अपनाना महत्वपूर्ण है।
आगे का रास्ता
- कानूनी सुधार: AI से जुड़े खतरों को कवर करने के लिए विशिष्ट कानून बनाए जाएं।
- AI निगरानी संस्थान: एक समर्पित संस्थान स्थापित किया जाए जो AI की निगरानी और नियंत्रण करे।
- नैतिक दिशानिर्देश: AI नैतिकता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर दिशानिर्देश तैयार किए जाएं।
- शिक्षा और प्रशिक्षण: AI विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएं।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: AI के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग बढ़ाया जाए।
निष्कर्ष
AI से जुड़े खतरों को नियंत्रित करने के लिए भारत को मजबूत और समर्पित कानूनी ढांचे की आवश्यकता है। मौजूदा कानूनों में सुधार, नई नीतियों का निर्माण और संस्थागत विकास के माध्यम से AI के खतरों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। AI के सुरक्षित और नैतिक उपयोग के लिए सरकार, संस्थानों और समाज को मिलकर काम करना होगा।