डीएवी बिस्टूपुर मे सेवारत शिक्षकों के लिए तीन दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यक्रम (ईईडीपी) का आयोजन …

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जमशेदपुर : सेवारत शिक्षिकाओं के लिए 24 अक्टूबर से 26 अक्टूबर 2024 तक डीएवी पब्लिक स्कूल, बिष्टुपुर में तीन दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह सेमिनार डीएवी सीएई नई दिल्ली के तत्वावधान में तथा डीएवी पब्लिक स्कूल, झारखंड जोन ई की एआरओ-सह प्राचार्या श्रीमती प्रज्ञा सिंह द्वारा निर्देशित किया गया।तीन दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यक्रम की पर्यवेक्षक क्रमशः सुश्री रेखा कुमारी (प्रिंसिपल एसजे डीएवी पब्लिक स्कूल, चाईबासा), श्रीमती महुआ सिंह (प्रिंसिपल डीएवी सीएफआरआई धनबाद) तथा श्रीमती चंद्रानी बैनर्जी (प्रिंसिपल टाटा डीएवी सिजुआ) थीं कार्यशाला का उद्देश्य नर्सरी तथा केजी के शिक्षिकाओं को खेल की पद्धति पर आधारित नवीन गतिविधियों से अवगत कराना था।कार्यशाला में डीएवी पब्लिक स्कूल बरोरा, टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल सिजुआ (धनबाद), टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल जामाडोबा धनबाद, डीएवी मॉडल स्कूल सीएफआरआई (धनबाद), डीएवी पब्लिक स्कूल महुदा (धनबाद), डीएवी पब्लिक स्कूल नोवामुंडी, एसजे डीएवी पब्लिक स्कूल चाईबासा और डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर, जमशेदपुर के बयालीस (42) शिक्षिकाएँ लाभान्वित हुए

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इस सत्र में क्रमशः श्रीमती अनीता चक्रवर्ती (एसजे डीएवी पब्लिक स्कूल चाईबासा) और श्रीमती कीर्ति मिश्रा (टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल सिजुआ) के द्वारा तनाव मुक्त और खिलौनों पर आधारित वातावरण बनाने पर जोर दिया गया। डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर की श्रीमती कंचन कुमारी और श्रीमती जसबीर कौर ने एक संयुक्त सत्र लिया। उन्होंने गतिविधि और खेल पद्धति विधि के माध्यम से केजी कक्षाओं में किए गए पाठ योजना और मूल्यांकन पर प्रकाश डाला। नर्सरी कक्षाओं के लिए डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर की श्रीमती रिंकी कुमारी ने प्रारंभिक बाल्यावस्था में ‘सकल मोटर कौशल विकसित करने’ पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने इस कौशल के बारे में कहा कि प्रारंभिक बाल्यावस्था में ऐसे खेलों और क्रियान्वयन का उपयोग किया जाना चाहिए जिससे बच्चों की उँगलियों तथा शरीर के सभी अंगों का उपयोग व विकास हो सकेडीएवी पब्लिक स्कूल चाईबासा की श्रीमती तृप्ति तिवारी ने ‘पूर्व-पठन और पूर्व-लेखन कौशल’ पर चर्चा की और इन्होंने ‘जीवंत और खिलखिलाती कक्षा’ बनाने पर ध्यान आकर्षित किया।डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर की श्रीमती गनिश कौर ने ‘कला और रचनात्मकता’ को प्रोत्साहित करने पर जोर दियासत्र का समापन सभी शिक्षिकाओं के मध्य प्रत्येक कौशलों का सर्वोत्तम अभ्यास करने के वार्तालाप और परस्पर संवादात्मक सत्रों पर चर्चा के साथ हुआ। कार्यशाला का उद्देश्य गतिविधि और खेल के तरीके से बच्चों को आनंदमय वातावरण प्रदान करके उन्हें पढ़ाने और व्यस्त रखने पर था।कार्यशाला का समापन प्रतिपुष्टि (फीडबैक) सत्र के साथ हुआ।

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