विजय शर्मा रंगारंग 9वाँ इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल, सिनसिनाटी ’24 की एफसीसीआई ज्यूरी में शामिल

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जमशेदपुर: 9वाँ इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल, सिनसिनाटी ’24 (3 अक्टूबर-6 अक्टूबर) की शुरुआत gg gदर्शकों से खचाखच भरे सिनसिनाटी के ऐतिहासिक मरीमोंट थियेटर में डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शन से हुई। भारतीय सिने-प्रेमियों केलिए विशिष्ट रहा। समारोह में सुमंत घोष निर्देशित, विख्यात अभिनेत्री अपर्णा सेन की बायो-स्टोरी ‘परमा: ए जर्नी विद अपर्णा सेन’ मुख्य अतिथि डॉ. लक्ष्मी कोडे सैम्मार्को की उपस्थिति में देखी गई। पूरे समारोह के दौरान दूसरा थियेटर भी दर्शकों से भरा ररा। समारोह में ‘परमा’ उत्कृष्ट डॉक्यूमेंट्री के रूप में पुरस्कृत हुई।

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यह अपने ढ़ंग का सिनसिनाटी तथा ओहायो में होने वाला एकमात्र साउथ एशियन फ़िल्म समारोह है। इसमें साउथ एशिया में बनाई लघु, फ़ीचर एवं डॉक्युमेंट्री दिखाई जाती हैं। समारोह फ़िल्म बनाने, अभिनेताओं तथा फ़िल्म उद्योग से जुड़े लोगों को अपना कार्य प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। यह हॉलीवुड से जुड़े लोगों, पत्रकारों, विभिन्न देशों से आए दर्शकों से इनका संवाद संभव बनाता है।

‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ फ़िल्म स्टूडियो के संस्थापक, सिने-समीक्षक, सिने-संपादक, आर्टिस्टिक डॉरेक्टर विभिन्न ज्यूरी के पूर्व सदस्य क्रिस्टोफ़र डॉल्टन द्वारा निर्मित तीन सदस्यीय एफसीसीआई ज्यूरी में डॉ. विजय शर्मा इस इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल, सिनसिनाटी ’24 में थीं। ‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ का प्रमुख उद्देश्य सिने-जगत से जुड़ी प्रतिभाओं को सामने लाना तथा उन्हें अच्छा सिनेमा बनाने केलिए प्रेरित करना है।

दो अन्य सदस्य – फ़िल्म समीक्षक एवं फ़िल्म पोडकास्टर अमर्त्य आचार्य तथा डॉक्यूमेंट्री निर्देशक, बहु-पुरस्कृत प्रो. अंजलि मोन्टेइरो के साथ समारोह की सर्वोत्तम स्क्रीनप्ले फ़िल्म प्रतियोगिता केलिए आई 5 फ़िल्मों में सर्वोत्तम स्क्रीनप्ले राइटर चुनना एक बड़ी चुनौती थी। फ़ौज़िया मिर्ज़ा की ‘द क्वीन ऑफ़ माई ड्रीम्स’ ‘कामिल शेख की ‘दि इन्वेस्टिगेटर’, ‘सुमंत भट्ट की ‘मिथ्या’, ‘सुनील सुकथनकर की ‘आउटहाउस’ तथा वेंडी बेडनार्ज़ की ‘येलो बस’ एक-से-बढ़कर-एक, पाँच फ़िल्में ज्यूरी ने देखीं।

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सर्वसम्मति से ज्यूरी ने सुमंत भट्ट की फ़िल्म ‘मिथ्या’ की पटकथा (सुमंत भट्ट ) को सर्वोत्तम पाया। फ़िल्म की विशेषता बताते हुए कहा गया, ‘यह 11 साल के मिथुन की आत्म-अन्वेषण एवं स्व-वापसी की मार्मिक यात्रा है, जो वह अपनी दुनिया के विनष्ट होने के पश्चात चुनौतीपूर्ण मार्ग द्वारा करता है।’ ‘मिथ्या’ को समारोह में उत्कृष्ट फ़िल्म, सर्वोत्तम निर्देशक (सुमंत भट्ट), सर्वोत्तम अभिनेता (आतिश शेट्टी) का खिताब भी मिला।

सुधीर टंडन, राजेश काकू शाह एवं दिवाकर बालकृष्णन की ज्यूरी ने ‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ ने सर्वोत्तम सिनेमाटोग्राफ़ी का पुरस्कार ‘आउसहाउस’ के सिनेमाटोग्राफ़र धनंजय कुलकर्णी को ‘कैमरा मूवमेंट्स – दिन, रात, इंडोर, आउटडोर – शॉट्स की निरंतर-नियंत्रित इमेज गुणवत्ता ने कहानी के मूड और भाव को प्रतिबिंबित करने’ केलिए दिया।

समारोह में सर्वोत्तम श्रेणी पुरस्कार निर्देशक अंशुल अग्रवाल (‘ए नाइट आफ़्टर ऑल’), रोमांटिक फ़िल्म (दि आउटहाउस), स्क्रीनप्ले फ़ीचर (क्वीन ऑफ़ माई ड्रीम्स’), अभिनेत्री (तनीषा चटर्जी, ‘यलो बस’), लघु फ़िल्म (‘खिड़की’) को प्राप्त हुए।

डॉ. विजय शर्मा इसके पहले वे 5वें चलचित्रम् नेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल एवं न्यू यॉर्क इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल,एफसीसीआई फ़िल्म फ़ेस्टिवल की ज्यूरी में भी रही हैं। वे 13 वर्षों से साहित्य, सिनेमा, कला संस्था ‘सृजन संवाद’ का संचालन कर रही हैं। सिनेमा पर उनकी दस पुस्तकें प्रकाशित हैं।

फ़ेस्टिवल की संस्थापक एवं निर्देशिका रति अपना ने सब विजेताओं को बधाई दी।

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‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ फ़िल्म स्टूडियो के संस्थापक, सिने-समीक्षक, सिने-संपादक, आर्टिस्टिक डॉरेक्टर विभिन्न ज्यूरी के पूर्व सदस्य क्रिस्टोफ़र डॉल्टन द्वारा निर्मित तीन सदस्यीय ज्यूरी में डॉ. विजय शर्मा इस इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल, सिनसिनाटी ’24 में थीं। ‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ का प्रमुख उद्देश्य सिने-जगत से जुड़ी प्रतिभाओं को सामने लाना तथा उन्हें अच्छा सिनेमा बनाने केलिए प्रेरित करना है।

दो अन्य सदस्य – फ़िल्म समीक्षक एवं फ़िल्म पोडकास्टर अमर्त्य आचार्य तथा डॉक्यूमेंट्री निर्देशक, बहु-पुरस्कृत प्रो. अंजलि मोन्टेइरो के साथ समारोह की सर्वोत्तम स्क्रीनप्ले फ़िल्म प्रतियोगिता केलिए आई 5 फ़िल्मों में सर्वोत्तम स्क्रीनप्ले राइटर चुनना एक बड़ी चुनौती थी। फ़ौज़िया मिर्ज़ा की ‘द क्वीन ऑफ़ माई ड्रीम्स’ ‘कामिल शेख की ‘दि इन्वेस्टिगेटर’, ‘सुमंत भट्ट की ‘मिथ्या’, ‘सुनील सुकथनकर की ‘आउटहाउस’ तथा वेंडी बेडनार्ज़ की ‘येलो बस’ एक-से-बढ़कर-एक, पाँच फ़िल्में ज्यूरी ने देखीं।

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सर्वसम्मति से ज्यूरी ने सुमंत भट्ट की फ़िल्म ‘मिथ्या’ की पटकथा (सुमंत भट्ट ) को सर्वोत्तम पाया। फ़िल्म की विशेषता बताते हुए कहा गया, ‘यह 11 साल के मिथुन की आत्म-अन्वेषण एवं स्व-वापसी की मार्मिक यात्रा है, जो वह अपनी दुनिया के विनष्ट होने के पश्चात चुनौतीपूर्ण मार्ग द्वारा करता है।’ ‘मिथ्या’ को समारोह में उत्कृष्ट फ़िल्म, सर्वोत्तम निर्देशक (सुमंत भट्ट), सर्वोत्तम अभिनेता (आतिश शेट्टी) का खिताब भी मिला।

सुधीर टंडन, राजेश काकू शाह एवं दिवाकर बालकृष्णन की ज्यूरी ने ‘द हाउस ऑफ़ इल्यूशन्स’ ने सर्वोत्तम सिनेमाटोग्राफ़ी का पुरस्कार ‘आउसहाउस’ के सिनेमाटोग्राफ़र धनंजय कुलकर्णी को ‘कैमरा मूवमेंट्स – दिन, रात, इंडोर, आउटडोर – शॉट्स की निरंतर-नियंत्रित इमेज गुणवत्ता ने कहानी के मूड और भाव को प्रतिबिंबित करने’ केलिए दिया।

समारोह में सर्वोत्तम श्रेणी पुरस्कार निर्देशक अंशुल अग्रवाल (‘ए नाइट आफ़्टर ऑल’), रोमांटिक फ़िल्म (दि आउटहाउस), स्क्रीनप्ले फ़ीचर (क्वीन ऑफ़ माई ड्रीम्स’), अभिनेत्री (तनीषा चटर्जी, ‘यलो बस’), लघु फ़िल्म (‘खिड़की’) को प्राप्त हुए।

डॉ.  विजय शर्मा इसके पहले वे 5वें चलचित्रम् नेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल एवं न्यू यॉर्क इंडियन फ़िल्म फ़ेस्टिवल,सीआईएफ़एफ़सीवाई फ़िल्म फ़ेस्टिवल की ज्यूरी में भी रही हैं। वे 13 वर्षों से साहित्य, सिनेमा, कला संस्था ‘सृजन संवाद’ का संचालन कर रही हैं। सिनेमा पर उनकी दस पुस्तकें प्रकाशित हैं।

फ़ेस्टिवल की संस्थापक एवं निर्देशिका रति अपना ने सब विजेताओं को बधाई दी।

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