अल्जाइमर पर डॉ. फतेह बहादुर सिंह की सलाहः जानें कैसे पाएं सही देखभाल से बेहतर जीवन…
लोक आलोक सेन्ट्रल डेस्क:हर साल 21 सितंबर को ‘वर्ल्ड अल्जाइमर डे’ के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को इस गंभीर बीमारी के बारे में जागरूक करना है। अल्जाइमर, एक प्रोग्रेसिव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और दैनिक कार्यों को प्रभावित करता है। विश्वभर में इस दिन विभिन्न कार्यक्रम और अभियान चलाए जाते हैं ताकि लोग अल्जाइमर और इससे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक हों और इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचान सकें। यह जागरूकता फैलाने का मौका होता है ताकि बीमारी के प्रति समाज में सहानुभूति और समझ विकसित हो सके।
अल्जाइमर की शुरुआती पहचान जरूरी: डॉ. फतेह बहादुर सिंह–
स्पंद हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन, डॉ. फतेह बहादुर सिंह ने वर्ल्ड अल्जाइमर डे के अवसर पर कहा कि यह दिन अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि अगर इस बीमारी की पहचान शुरुआती चरणों में हो जाए, तो इसे काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।
डॉ. फतेह ने समझाया कि अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे मस्तिष्क की कार्यक्षमता कम होने लगती है। ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियों का इसमें बड़ा योगदान रहता है। शुरुआती चरण में, मरीज छोटी-छोटी चीजें भूलने लगता है, जैसे उसने सुबह क्या खाया, क्या काम किया, या नहाया है या नहीं। ये लक्षण महीनों से लेकर सालों तक बने रह सकते हैं। यदि सही समय पर मेडिकल सहायता ली जाए, तो इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि कुछ मामलों में मरीजों को मानसिक गतिविधियों के माध्यम से ठीक किया जाता है। जैसे यदि मरीज को तनाव है, तो उसे तनाव कम करने के लिए विभिन्न गतिविधियों में शामिल किया जाता है। अगर यह बीमारी शुरुआती चरण में है, तो दवाओं और मानसिक उपचार के माध्यम से इसे नियंत्रित करना संभव है। अल्जाइमर के मरीज अपने आस-पास के लोगों को पहचान नहीं पाते हैं और अपनी दैनिक गतिविधियों को सही से नहीं कर पाते हैं। इसलिए, दूसरे चरण में जाने से पहले ही मरीज को शुरुआती चरण में सहायता देना जरूरी है, ताकि बीमारी बढ़ने से पहले उसे ठीक किया जा सके।
डॉ. ने यह भी कहा कि समाज में अक्सर लोग इस बीमारी को समझे बिना मरीजों को पागल करार दे देते हैं, लेकिन यह वास्तव में मस्तिष्क की संरचनात्मक बदलावों के कारण होता है। अल्जाइमर के शुरुआती दौर में इलाज संभव है, और यह जागरूकता फैलाना बेहद महत्वपूर्ण है ताकि लोगों को इस बीमारी की गंभीरता और इलाज की संभावनाओं के बारे में सही जानकारी मिल सके।
अल्जाइमर के प्रति जागरूकता फैलाना जरूरी–
वर्ल्ड अल्जाइमर डे के इस मौके पर, यह समझना आवश्यक है कि अल्जाइमर केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक चुनौती है, जिसका सामना मरीज और उनके परिवार को मिलकर करना होता है। सही समय पर इलाज और देखभाल के साथ, मरीज को बेहतर जीवन प्रदान किया जा सकता है। जागरूकता के माध्यम से ही हम इस बीमारी को पहचानने और इससे निपटने में सक्षम हो सकते हैं।