51 बस्तियों को सरकार दे मालिकाना हक, अंचलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा पत्र…
आदित्यपुर: भूमि सुधार आंदोलन के बैनर तले भुमि सुधार आंदोलन के संरक्षक रमेश हांसदा के नेतृत्व में गम्हरिया प्रखंड कार्यालय में सीओ के माध्यम से राज्यपाल के नाम चार सुत्री ज्ञापन सौंपा गया। जिसमे सरायकेला खरसावां जिला के आदित्यपुर-गम्हरिया प्रखंड में सरकारी जमीन पर बसे लोगों को आवासीय हेतू बने घर की जमीन को बंदोबस्त किए जाने की मांग की गई। रमेश ने कहा की 1983 में बिहार सरकार द्वारा नोटिफाइड एरिया में सर्वे किया गया था। जिसमे मानगो और जुगसलाई को मान लिया गया। लेकिन आदित्यपुर के सर्वे को नहीं माना गया।1983 सर्वे को मान्यता दिया जाये। झारखंड में 1932-64 के बाद सर्वे सेटेलमेंट नहीं हुआ है जिस कारण राज्य में जमीन की काफी हेरा फेरी हो रही है एंव कई अधिकारी जेल भी जा रहें हैं। अविलंब सेटलमेंट किया जाये। वहीं सरायकेला खरसावां जिला में 50 प्रतिशत से ज्यादा जमीन ऑनलाइन पंजी 2 में नहीं चढ़ा है इसको अविलंब चढ़ाया जाये। भाजपा नेता रमेश हांसदा ने कहा कि जमशेदपुर में टाटा कंपनी ने 1907 से ही लोहे का निर्माण शुरू किया और इस लोहे के निर्माण में लगे हजारों मजदूरों को अगल-बगल के क्षेत्र राजनगर, चाईबासा, मयूरभंज ,रायरंगपुर, मिदनापुर, पुरुलिया ,रांची, गुमला ,आदि क्षेत्रों से आदिवासी मूलवासी को लाया गया। ये लोग टाटा कंपनी में मजदूरों की काम करते थे। साथ ही साथ सरकार ने आदित्यपुर में भी रैयतों से जमीन अधिग्रहण करके आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण किया जिसमें काम करने के लिये हज़ारों लोग आये। सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र तो बना दिया लेकिन यहाँ काम करने वालों के रहने के कोई वयवस्था नहीं किया। रहने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण धीरे-धीरे इन लोगों ने खड़काई नदी के इस पार आदित्यपुर क्षेत्र में बसना शुरू किया। क्योंकि पैसे के अभाव में यह लोग रैयत जमीन तो नहीं खरीद पाए। कम दामों में सरकारी जमीन पर बसना शुरू किया और आहिस्ता आहिस्ता इस क्षेत्र में कई बस्तियां आज से 50 से 70 साल पहले ही अस्तित्व में आ गई। इन बस्तियों में अभी लगभग 50 बस्तियां है जो 1 सालडीह बस्ती, 2 माझी टोला 3 संजय नगर 4 त्रिपुरा कॉलोनी 5 चंपाइ नगर 6 बैंक कॉलोनी 7 डिंडली बस्ती 8 हरिओम नगर 9 इंद्रा बस्ती 10 रिवरव्यु 11 कॉलोनी राम मड़ैया बस्ती 12 रोड न.13 शर्मा बस्ती 13 रोड न. 17 कॉलोनी 14 गुमटी बस्ती 15 चुना भट्टा 16 अलकतरा ड्राम बस्ती 17 कृष्णा नगर 18 ब्राह्मण टोला 19 सीतापुर बस्ती 20 ईमली चौक चुना भट्टा 19 आदित्यपुर बस्ती 21 GR कॉलोनी 22 इच्छापुर लाईन टोला 23 बंता नगर ABC जोन 24 कुल्पटंगा बस्ती 25 रायडीह बस्ती 26 लंका टोला शिव काली मंदिर 27 रायडीह सूर्य मंदिर 28 विनोद नगर 29 महावीर नगर 30 रिक्शा कॉलोनी 31 बावरीबस्ती 32 बाबा आश्रम 33 मोती नगर साई कॉलोनी 34 आदर्श नगर 35 बेलडीह बस्ती 36 भाटिया बस्ती 37 विद्युत नगर 38 मीरुडीह 39 बस्को नगर 40 गम्हरिया नीम पाड़ा 41 श्रीडुंगरी 42 सात बहिनी 43 जमालपुर 44 जुलुम टाड़ 45 शांतिनगर 46 भोलाईडीह 48 गम्हरिया मोतीनगर 49 बलरामपुर 50 शंकरपुर 51जगन्नाथपुर के नाम से जाने जाती है। वर्षों से बसे होने के कारण सरकारों ने भी इन लोगों को मूलभूत सुविधा बिजली ,पानी, सड़क ,राशन सभी तरह का सुविधा मुहैया करा रही है लेकिन वर्षों से बसे इन लोगों को आज भी अवैध जमीन में बसे होने के कारण सरकार द्वारा उपलब्ध कई अन्य लाभों से वंचित होना पड़ रहा है। सरकार यदि चाहेगी तो नियम के मुताबिक कोई व्यक्ति वर्षों से सरकारी जमीन पर बस जाता है तो उसके नाम से बंदोबस्त किया जा सकता है।लेकिन बिहार सरकार के द्वारा 1990 के दशक में बंदोबस्ती को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया था । झारखंड बिहार में 1932 और 64 के बाद कोई सेटलमेंट का काम ,भूमि सुधार करने का काम किसी भी सरकार ने नहीं किया जिस वजह से आज भी गांव देहातों में पुराने खतियान में ही वंशावली बना बना कर जमीन के विभिन्न तरह का काम किया जा रहा है । इस कारण जमीन की गलत तरीके से हस्तांतरण एवं लूट भी हो रही है । राज्य में जितने भी जमीन घोटाले दिख रहे हैं कहीं ना कहीं जमीनों का पूर्ण रूप से हिसाब नहीं होने के कारण आज बिचौलिए और जमीन दलाल इन सब कामों को गलत कागजात बनाकर आसानी से कर रहे हैं। रमेश ने कहा की बंदोंबस्ती के साथ-साथ झारखंड में सर्वे सेटेलमेंट का काम भी किया जाए। उन्होंने कहा की जन आंदोलन खड़ा कर इन मुद्दों को के महत्व को राजनीतिक दलों को बतलाने की जरूरत है ।बिना जन आंदोलन किये कोई भी सरकार इस मुद्दे पर कभी गौर नहीं करेगी। मौके पर अभिजित दत्ता, अरबिंद कुमार हीरा, माईकल महतो, विशु महतो, कार्तिक मंडल, रीता मंडल, चिन्मय महतो, बोन्ज गोप, पवन महतो,लुस्की सोरेन, ध्रुव सिंह ,गौरी शंकर टुडू, सपन महतो, वीर सिंह टुडू,शुकलाल महतो, वीरेंद्र घटक, विकास महतो आदि बस्ती बासी उपस्थित थे।