चुनाव से ठीक पहले हेमंत सोरेन की हुई रिहाई.. क्या BJP की बढ़ेगी टेंशन?
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- झारखंड में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होंने हैं, जिसके ठीक पहले पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को जमानत मिली है, जिसके चलते विधानसभा चुनाव दिलचस्प हो गया है।
झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को शुक्रवार को ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिल गई है। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सोरेन की रिहाई ने राज्य के समीकरणों में बड़ा बदलाव कर दिया है, क्योंकि राज्य की झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार को नैतिक तौर पर सोरेन की रिहाई से ताकत मिली है।
बता दें कि हेमंत सोरेन को जनवरी 2024 में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से पहले उन्होंने राज्य के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था, और गठबंधन ने उनके चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता घोषित करके मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया है। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन झामुमो का चेहरा बन गईं है। उन्होंने अपनी वाकपटुता के जरिए महिलाओं के बीच एक मजबूत छवि बना ली है।
कल्पना सोरेन ने जीा उपचुनाव, लोकसभा में विपक्ष ने दिखाई ताकत
कल्पना सोरेन ने इंडिया गठबंधन के के विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के कैंपेन में भी भाग लिया और लोकसभा चुनावों के साथ ही गांडेय विधानसभा में हुए उपचुनाव में 26,000 वोटों से जीत हासिल की थी। बता दें कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन को 5 सीटें मिली थीं। JMM को अकेले तीन सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को दो सीटें मिलीं। बीजेपी ने यहां 8 सीटें जीती थीं, जबकि उसके सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन को एक सीट मिली थी। खास बात यह है कि विपक्षी गठबंधन ने सभी पांच एसटी-आरक्षित सीटे अपने ही नाम की थी।
बीजेपी को आदिवासी बहुल सभी सीटों पर बुरी हार का सामना करना पड़ा था, यहां तक कि पार्टी ने आदिवासी बहुल दुमका भी गंवा दी, जबकि इस सीट पर पार्टी ने जेएमएम से बगावत करके बीजेपी में आईं हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को टिकट दिया था। यह बताता है कि झामुमो और उसके सहयोगियों की राज्य के आदिवासी इलाकों में पकड़ बनी हुई है – और सोरेन की गिरफ्तारी के बाद गठबंधन को उम्मीद है कि बीजेपी की हालत यहां और खराब हो सकती है।
रणनीति बदलवा करेगी BJP
सियासी समीकरणों पर राज्य के एक बीजेपी नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में झारखंड की आदिवासी सीटों पर बीजेपी का प्रचार काम नहीं आया है। ऐसे में अब पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी राज्य 28 आदिवासी बहुल सीटों पर रणनीति में बदलाव करेगी। सोरेन की रिहाई से राज्य में सियासी समीकरण बदल सकते हैं और उम्मीद है कि झामुमो सहानुभूति कार्ड के जरिए बीजेपी को और बैकफुट पर धकेल सकती है।
ऐसे में कल्पना सोरेन की भूमिका को लेकर एक जेएमएम नेता ने कहा कि उन्हें राज्य सरकार के कैबिनेट में जगह मिल सकती है, क्योकि सभी को पता है कि हेमंत सोरेन की रिहाई पर ईडी उसका विरोध करेगी और वह इस जमानत को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकती है। वहीं बीजेपी को भी लगता है कि हेमंत सोरेन को जमानत मिलने के बाद अब पार्टी को अपने चुनावी कैंपेन में बदलाव करना ही होगा। पार्टी ने हिम्मत दिखाते हुए कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए के प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हैं हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, जो कि नए सिरे से रणनीति बनाएंगे।