अहमदाबाद: मदरसे का सर्वेक्षण कर रही टीम पर मस्जिद के बाहर भीड़ ने किया हमला…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-अहमदाबाद के दरियापुर स्थित एक मदरसे में रविवार को सर्वे करने पहुंची टीम पर भीड़ ने हमला कर दिया। जब टीम मौके पर पहुंची तो मदरसा बंद था. सर्वे टीम के संदीप पटेल नाम के शिक्षक सबूत के तौर पर तस्वीरें ले रहे थे, तभी अचानक पास की मस्जिद के आसपास खड़ी भीड़ ने टीम पर हमला कर दिया. भीड़ ने पहले टीम को घेरा और फिर उन पर हमला कर दिया. घटना की प्राथमिकी दरियापुर थाने में दर्ज करायी गयी है.
स्कूल टीचर मदरसा सर्वे टीम का हिस्सा थे, जिन पर हमला हुआ है. फरहान और फैजल के खिलाफ दंगा करने, सरकारी काम में बाधा डालने और लूटपाट के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है. उनके साथ पांच अन्य लोगों और 35 से ज्यादा लोगों की भीड़ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
गुजरात में 1100 से ज्यादा मदरसों का सर्वे किया जा रहा है
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के आदेश पर गुजरात के 1100 से ज्यादा मदरसों का सर्वे कराया जा रहा है. इनमें अहमदाबाद शहर और ग्रामीण इलाकों के 205 मदरसे शामिल हैं। मदरसों में जाने वाले गैर-मुस्लिम बच्चों की जांच और मैपिंग के आदेश दिए गए. अनमैप्ड मदरसों के मानचित्रण के लिए भी सर्वेक्षण का आदेश दिया गया है। मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सामान्य स्कूल में पढ़ना जरूरी है या नहीं, इसकी जांच के लिए एनसीपीसीआर ने सर्वे कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.यही वजह है कि सर्वे कराया जा रहा है
इससे पहले 7 मई को NCPCR ने गुजरात के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था, जिसके बाद अहमदाबाद में 11 मुद्दों पर सर्वे का काम शुरू हुआ. सर्वेक्षण में मदरसा संचालकों के बारे में सारी जानकारी हासिल करने का प्रयास किया गया है। साथ ही अगर कोई ट्रस्ट या संस्था मदरसा संचालन से जुड़ी है तो उसकी जानकारी के साथ-साथ शिक्षकों को दिए जाने वाले वेतन की जानकारी भी निकाली जा रही है.
इसके अलावा बच्चों से ली गई फीस और मदरसे को दान में मिले पैसे का भी सर्वे किया जा रहा है.
गुजरात के मदरसों में कराए जा रहे सर्वे पर अहमदाबाद के शिक्षा अधिकारी लगधीर देसाई ने कहा कि मदरसों में कराए जा रहे सर्वे का सबसे बड़ा मकसद यह पता लगाना है कि बच्चों को आरटीई कानून के तहत मौलिक अधिकार मिल रहे हैं या नहीं. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के लिए 175 टीमें अहमदाबाद के कई मदरसों में गई हैं। उनके मुताबिक, अगर बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जा रही है तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है और सर्वे सिर्फ यह पता लगाने के लिए किया जा रहा है कि बच्चों को उनके बुनियादी अधिकार मिल रहे हैं या नहीं.