ये हैं भारत की 5 महान खोज, जिसने बदल दी विज्ञान और गणित की परिभाषा…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-भारत दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। इस देश ने विश्व को कई सभ्यता देने के साथ विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी कई उपलब्धियां दी है। आज हम आपको विज्ञान के क्षेत्र में भारत की 5 ऐसी खोज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बिना आज की दुनिया की कल्पना नहीं की जा सकती है।
विश्व को दिया जीरो
गणित का आधार जीरो यानी शून्य होता है और इसकी खोज भारत में हुई थी। यह हर समय काल की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानी जाती है। गणितज्ञ आर्यभट्ट पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने जीरो के लिए कोई संकेत, कोई सिंबल ‘0’ दिया था। जिसके बाद गणितीय क्रिया विधियों जैसे जोड़ने और घटाने में शून्य का प्रयोग शुरू हो सका।
दशमलव प्रणाली
भारत ने विश्व को दशमलव प्रणाली भी दी। इस प्रणाली में, प्रत्येक प्रतीक की एक स्थिति और एक निरपेक्ष मूल्य होता है। इसकी खोज भी आर्यभट्ट ने की। इसे एक (इकाई), दस (दहाई), शत (सैकड़ा), सहस्त्र (हजार) इत्यादि संख्याओं को मापने के उपयोग में लाया जाने लगा। इससे वर्गमूल, घनमूल और अज्ञात संख्याओं को मालूम करने के ढंग निकाले। संख्याओं के छोटे भागों को व्यक्त करने के लिए दशमलव प्रणाली प्रयोग में आई।
1 से 9 तक अंक सूचनाएं
गणित के दुनिया में एक और बड़ी खोज भी भारत ने ही की। भारतीयों ने करीब 500 ईसा पूर्व 1 से लेकर 9 तक हर अंक के लिए अलग-अलग प्रतीक खोजे, जिसे बाद में अरब लोगों ने अपनाया और इसे ‘हिंद’ अंक नाम दिया। बाद में इस व्यवस्था को पश्चिमी दुनिया ने अपनाया और इसे अरबी अंक नाम दिया, क्योंकि उनके पास यह व्यवस्था अरब व्यापारियों के माध्यम से पहुंची थी। अरेबिक अंक व्यवस्था असल में भारतीय ही है।
परमाणु की अवधारणा
आधुनिक समय में जॉन डॉल्टन को परमाणु का खोजकर्ता माना जाता है, लेकिन कहा जाता है कि प्राचीन भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक कणाद ने पहले ही परमाणु थ्योरी बना ली थी। उन्होंने एक परमाणु की तरह, अणु या छोटे अविनाशी कणों के अस्तित्व का अनुमान लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि अणु में दो अवस्थाएं हो सकती हैं- पूर्ण विश्राम की अवस्था और एक गति की अवस्था।
जिंक को गलाना
भारत ही पहला देश था जिसने आसवन विधि से विश्व को जिंक को गलाना सिखाया। यह एक उन्नत तकनीक थी जो प्राचीन रसायन विज्ञान के लंबे अनुभव से विकसित की गई थी। प्राचीन पारसियों ने भी जिंक ऑक्साइड को एक खुली भट्टी में तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन नाकामयाब रहे थे। राजस्थान की तिरि घाटी में स्थित जावर दुनिया का पहला ज्ञात प्राचीन जिंक स्मेल्टिंग स्थल है।