Lok Sabha Election 2024: मतदाता असली है या फर्जी दो रुपये में चलेगा पता, चुनाव आयोग ने कर रखी है जबरदस्त तैयारी…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:-फर्जी मतदाता का दावा करने वाले पोलिंग एजेंट व अन्य लोग को पीठासीन अधिकारी से संपर्क करना होगा। पीठासीन अधिकारी मतदाता से उसका नाम पिता का नाम पता घर में कितने वोटर हैं आदि कई बिंदुओं के बारे में पूछताछ करेगा। संतुष्टि न होने पर वह सच और झूठ की पहचान करने के लिए क्षेत्र के पार्षद या प्रधान को बुलाकर मतदाता के बारे में गवाही लेगा।
गौतमबुद्ध नगर लोकसभा में दूसरे चरण के तहत 26 अप्रैल को करीब 26 लाख 75 हजार मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे।
मतदान के दिन मतदान केंद्र पर अक्सर फर्जी मतदाता की शिकायतें पोलिंग एजेंट से लेकर अन्य लोग करते हैं। चुनाव आयोग ने मतदान के दिन फर्जी मतदाता पहचानने के लिए गाइडलाइन जारी की हैं।
इसमें व्यवस्था की गई है कि किसी भी प्रत्याशी का एजेंट फर्जी मतदाता का पता लगाने के लिए दो रुपये की रसीद कटवाकर उसे चैलेंज कर सकता है। दो रुपये खर्च करने पर पता चल जाएगा कि मतदाता असली है या फर्जी।

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फर्जी मतदाता का दावा करने वाले को पीठासीन अधिकारी से करना होगा संपर्क
फर्जी मतदाता का दावा करने वाले पोलिंग एजेंट व अन्य लोग को पीठासीन अधिकारी से संपर्क करना होगा। पीठासीन अधिकारी मतदाता से उसका नाम, पिता का नाम, पता, घर में कितने वोटर हैं आदि कई बिंदुओं के बारे में पूछताछ करेगा।

संतुष्टि न होने पर वह सच और झूठ की पहचान करने के लिए क्षेत्र के पार्षद या प्रधान को बुलाकर मतदाता के बारे में गवाही लेगा।

यदि मतदाता यह साबित कर दे कि वही असली मतदाता है, तो उसे वोट डालने का मौका मिलेगा और अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो उसे फर्जी मतदाता मानकर उसके खिलाफ केस दर्ज कराया जा सकता है।

टेंडर बैलेट पत्र का भी लें सकते हैं सहारा
यदि कोई मतदाता केंद्र पर अपना वोट डालने पहुंचता है, लेकिन उससे पहले ही कोई उसके नाम से वोट डाल चुका होता है तो वह टेंडर वोट का सहारा ले सकता है। इसके लिए उसे पीठासीन अधिकारी के पास जाना होगा। यदि मतदाता सूची में नाम होगा तो पीठासीन अधिकारी एक प्रपत्र पर मतदान कराते हैं।

इसके बाद उस मतपत्र को लिफाफे में बंद कर देते हैं। मतगणना के समय कम वोट के अंतर से हार-जीत की स्थिति में ऐसे वोट की गणना की जाती है। इसे टेंडर वोट कहते हैं।

पीठासीन अधिकारियों को मतदान के समय मिलने वाले किट में टेंडर बैलेट पत्र दिए जाते हैं और चुनाव अधिकारियों को मतदान खत्म होने के बाद इसका ब्योरा आयोग को देना होता है। ये वोट बैलेट पेपर से पड़ते हैं।

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