चाकुलिया: हाथियों के भय से साल और केंदू पत्ता तोड़ने जंगल नहीं जा रहे हैं ग्रामीण

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चाकुलिया: चाकुलिया प्रखंड में पश्चिम बंगाल की सीमा से सटी सरडीहा,लोधाशोली और कालापाथर पंचायत के गांवों में जंगली हाथियों के उपद्रव के कारण जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। हाथी गरमा धान की फसल को रौंद कर किसानों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। शाम होने के बाद ग्रामीणों का अपने घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। हाथियों के हमले से कब किसकी जान चली जाएगी कहना मुश्किल है। हाथियों के भय से ग्रामीण साल और तेंदू पत्ता तोड़ने के लिए जंगल नहीं जा रहे हैं। इसके कारण ग्रामीणों के रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इससे सर्वाधिक परेशान सबर जनजाति के लोग हो रहे हैं।विदित हो कि साल जंगलों से भरे इस इलाके के ग्रामीणों के रोजगार के साधन वनोत्पाद हैं। इन दिनों ग्रामीण जंगल से साल और केंदू का पत्ता तोड़ते हैं। इन पत्तों को सुखाकर छोटे-मोटे व्यापारियों को बेचते हैं। साल और केंदू के पत्ते ग्रामीणों के रोजगार के प्रमुख साधन हैं। परंतु हाथियों के कारण ग्रामीण जंगल नहीं जा पा रहे हैं। कालापाथर पंचायत के गोहालडीह,बनकांटी, सरडीहा पंचायत के मौराबांधी समेत कई ऐसे गांव हैं, जिनमें सबर जन जाति के लोग काफी संख्या में निवास करते हैं। इनके रोजगार का प्रमुख साधन जंगल हैं। गोहालडीह के नित्यानंद सबर ने बताया कि पिछले कई दिनों से 10 से 15 हाथी आसपास के जंगलों में शरण लिए हुए हैं। हाथी दिन भर जंगल में रहते हैं। इसके कारण लोग भय से साल और केंदू पत्ता तोड़ने के लिए जंगल नहीं जा रहे हैं।

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