10 तालाबों को अतीत बनने से बचा चुका है वाटर रिजूवेनेशन प्रोजेक्ट, जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा यह अभियान
जमशेदपुर: सीआईआई यंग इंडियंस जमशेदपुर का क्लाइमेट चेंज वर्टिकल तालाबों को बचाने के अभियान में जुटा है। इस अभियान से उन तालाबों को बचाया जा रहा है, जो अतीत बनने की कगार पर हैं। इसमें सफलता भी मिल रही है। सीआईआई वाटर रिजूवेनेशन प्रोजेक्ट के तहत गांवों में अस्तित्व खोते जा रहे तालाब को बचाने के लिए कोल्हान में तालाबों को विकसित करने के लिए जोर शोर से काम कर रहा है। प्रोजेक्ट से जल संरक्षण के साथ-साथ किसानों के लिए भी एक वरदान साबित हो रहा है। अब तक इस प्रोजेक्ट से 10 तालाबों को बचाया जा चुका है। इनमें रोलाडीह (पोटका), हेसड़ा, पेंडेराबेड़ा, चोरा, खेरुआ, बांसगढ़, बोड़ाम, उदयपुर, गोपीनाथपुर कांडा व हरिसुंदरपुर गांव में तालाब का जीर्णोद्धार किया गया है।
ज्ञात हो कि पूर्वजों ने पानी संरक्षण के लिए तालाब को हमारे लिए छोड़ा था, लेकिन आज हमारे पूर्वजों का प्रयास अतीत की यादों में समा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सरकार की उदासीनता ही रही है। अमृत सरोवर योजना से सिंचाई का कार्य भी किया जाएगा और बरसाती पानी को संरक्षित भी किया जाएगा।
गर्मियों में पूरे भारत में बड़े पैमाने पर जल संकट पैदा हो जाता है। इस समस्या को देखते हुए सीआईआई-यंग इंडियंस जमशेदपुर क्लाइमेट चेंज वर्टीकल ने वाटर रिजूवेनेशन प्रोजेक्ट के तहत गांवों में अस्तित्व खोते जा रहे तालाब को बचाने के लिए कोल्हान में तालाबों को विकसित करने के लिए जोर शोर से काम कर रहा है। यह प्रोजेक्ट जल संरक्षण के साथ-साथ किसानों के लिए भी एक वरदान साबित हो रहा है।
इस योजना के तहत सीआईआई कोल्हान में 10 तालाबों का निर्माण करा चुका है अब 10 और तालाब विकसित करने की योजना है। भारत में पानी को बचाने की चुनौतियों का संयुक्त रूप से समाधान करने के लिए इस तरह की पहल को आवश्यक माना जा रहा है।
तालाबों के लिए गांव में बनाए गए नियम :
यंग इंडियंस द्वारा बनाये गए तालाबों के लिए हर गांव ने कुछ नियमों को लागू किया है। तालाब में गंदगी फैलाने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाता है, जलग्रहण क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त रखने पर जोर दिया जाता है। घर के लिए तालाब से पानी ले जाने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन तालाब से पानी बिक्री के लिए नहीं लिया जा सकता है।
पानी का उचित प्रबंधन है जरूरी :
भारत में पानी की कमी अपर्याप्त आपूर्ति से नहीं बल्कि हमारे पास मौजूद पानी के प्रबंधन के गलत तरीके से आई है। कृषि में भारत के 78 प्रतिशत पानी का उपयोग किया जाता है और इसका बहुत ही बेपरवाही से उपयोग किया जाता है। सिंचाई के लिए उपयोग किया जाने वाला लगभग दो-तिहाई पानी भूजल से आता है। भूजल पंप करने के लिए किसानों के लिए भारी बिजली सब्सिडी और तथ्य यह है कि भूजल बड़े पैमाने पर अनियमित है, पिछले कई दशकों में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल के माध्यम से भूजल के उपयोग में लगातार बढ़ोतरी हुई है। मांग की कमी को पूरा करने के लिए बोरवेल की व्यापक खुदाई करके भूजल के बढ़ते लेकिन बेहिसाब उपयोग किया जाता है। इसका उचित प्रबंधन जरूरी है।
गांवों में सूखे तालाबों का प्रयोग लोग आज लोग पानी के लिए नहीं कर रहे, बल्कि इनके किनारे लगे छायादार पेड़ों के नीचे बैठकर ताश खेलने के रूप में कर रहे हैं। दशकों से वीरान पड़े तालाबों के प्रति ग्रामीणों के दिल में भी बेरूखी घर कर गई है। बरसात के घटते दिन भी तालाब के लिए अभिशप्त साबित हुए है। यही वजह है कि आज देश भर के गांवों में तालाब और जोहड़ पानी के अभाव में सूखे पड़े हैं। जिससे इन तालाबों तक न तो पशुओं की पदचाप सुनाई देती है और न मनुष्य इनकी राह पकड़ता दिखाई देता है। – कैशिक मोदी, को-चेयर यंग इंडियंस जमशेदपुर