आज के सामाजिक परिदृश्य में राजनीति …
आज के सामाजिक परिवेश में राजनीति की स्थिति क्या है और इसकी भूमिका क्या है; इस पर अपना विचार रखने का प्रयास करूंगा। सही मायने में कहा जाए तो राजनीति आम नागरिकों के लिए अछूत है या यूं कहा जा सकता है कि आम नागरिक इससे दूर ही रहना पसंद करते हैं। आम धारणा यह है की राजनीति का क्षेत्र साफ सुथरा नहीं है। बंद दरवाजे के कमरे में राजनीति तथा सामाजिक कुरीतियां या परिस्थिति की चर्चा आलोचना तो करते हैं लेकिन इसमें सक्रिय रूप से भाग लेना या दोषो को दूर करने का प्रयास नहीं करते। इसमें इनका यह सोच कुछ हद तक तर्कसंगत भी लगता है। राजनीति में जिस तेजी से अपराधीकरण और भ्रष्टाचार पैर पसरा हुआ है वह चिंताजनक है।
लेकिन बीते कुछ सालों में आशा की किरने दिखाई दे रही है राजनीति में अपराधीकरण भ्रष्टाचार जातिवाद परिवारवाद क्षेत्रवाद और तुष्टिकरण धीरे-धीरे खत्म होती दिख रही है जिन पार्टियों की बुनियादी सिद्धांत ही भ्रष्टाचार एवं परिवारवाद है जो कि कुछ क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में दिखाई देती है उनके लिए मुख्यधारा मुश्किल है इन लोगों के चलते राजनीतिक माहौल बहुत हद तक खराब हुआ है आशा की बात यह है कि जनता जाग रही है वह अब वोट करते समय राजनीतिक कुरीतियों को छोड़कर राष्ट्रवाद की भावना को प्रधानता दे लोकसभा चुनाव में खासकर यह देखा जा सकता है।
जब हम गंभीरता से विचार करते हैं तो देखते हैं कि भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार जातिवाद परिवारवाद अपराधीकरण क्षेत्रवाद और तुष्टिकरण कम हो रहा है तो इसका श्रेय मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पृष्ठभूमि वाले नेताओं के हाथों में सत्ता का डोर आना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पृष्ठभूमि वाले नेताओं पर अब तक शायद ही कोई भ्रष्टाचार का आरोप लगा होगा इन लोगों में राष्ट्र की भावना प्रखर होती है और जो राष्ट्र भावना को सर्वोत्तम स्थान दे यही भावना इन में भ्रष्टाचार जाति प्रथा परिवारवाद क्षेत्रवाद और तुष्टिकरण आदि राजनीतिक कुरीतियों से दूर रखता है।
तथाकथित भद्र मनुष्यों को भी घर के अंदर राजनीति और समाज का आलोचना छोड़कर सक्रिय राजनीति में आना पड़ेगा और भविष्य पीढ़ी को भी देश सेवा की भावना से राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित करनापड़ेगा। अगर वास्तव में देश का भला चाहते हैं सुरक्षित भविष्य को छोड़कर इसमें आने के लिए उत्साहित करना पड़ेगा ।
तथा मैं यह भी कहना चाहूंगा की आध्यात्मिक ऊंचाईयो को पाने के इच्छुक व्यक्ति भी इस क्षेत्र में कर्मयोगी की तरह निष्काम भाव से राष्ट्र कल्याण की भावना से न्याय पूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए, देश एवं अपनी आत्म उन्नति कर सकते हैं।