मनीष सिंह "वंदन" आई टाइप आदित्यपुर जमशेदपुर झारखंड

Advertisements
Advertisements

आज शादी का जश्न है और घोड़े रो रहे हैं
खरगोश मिर्च को कुतर रहा, तोते सो रहे हैं
ऊंटों की बारात है और गा रहे हैं गीत गदहे
उजले बगुले जला रहे हैं…..नीतिगत सफहे

नाम है जंगल का राजा काम है दरी बिछाना
लकड़बग्घों के जिम्मे है…ठंडा पानी पिलाना
हाथियों को आदेश है…….खाना पकाने का
बंदरों को टेंडर मिला है..सबको नहलाने का

सियारों की बैठक है और वहां कई चीते हैं
जंगल में पानी नहीं है……..सब खून पीते हैं
लोमड़ी सबके घर जाकर मिठाई बांट रही
कोयल खामोशी से शुगर की दवा छांट रही

गिद्धों को मिला है…नगाड़े बजाने का काम
मोर को देना है……सभी बाराती को इनाम
समूचे लाइट का प्रबंधन है तितली के पास
इत्र बरसाने का काम है छिपकली के पास

उल्लुओं की टीम……निमंत्रण पत्र भेज रही
कबूतरी हौले से समारोह का पास बेच रही
श्वानों को अपने हाथों से भोजन परोसना है
मेढ़कों और चूहों को साफ सफाई रखना है

घड़ियालों को करना है….सबका मनोरंजन
भालुओं को चिल्लाना है….अलख निरंजन
आज कौवे के पास है मदिरालय की चाभी
नेवला जेठ संग….नाच रही है बिच्छू भाभी

गैंडा ससुर मदिरा पीकर हुड़दंग मचाने लगा
बारातियों से इनाम छीनकर..धमकाने लगा
और फिर घर का पैसा….घर में ही आ गया
भौकाल भी टाइट रहा….समाज में छा गया

हर्रे न फिटकरी………और शादी निपट गई
गोरी नागिन काले सूकर के गले लिपट गई
बेमेल से मेल……भला कितने दिन टिकेगा
यह भी सच है……जो दिखेगा वही बिकेगा

आजकल…..यही सब तो हो रहा है “वंदन”
गला रेतनेवाला…घूम रहा है लगाकर चंदन ।।

© मनीष सिंह “वंदन”
आई टाइप, आदित्यपुर, जमशेदपुर, झारखंड

Advertisements
Advertisements

Thanks for your Feedback!

You may have missed