बूंद-बूंद के लिए तरस रहे है दोदारी गांव में रहने वाले लोग,ग्रामीणों ने 14 मार्च को सलाई चौक पर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने का लिया निर्णय
डीएमएफटी निधि से सारंडा जंगल स्थित छोटानागरा पंचायत के बाईहातु गांव एवं गंगदा पंचायत के दोदारी गांव में रहने वाले लोग इन दिनों पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे है. दोनों पंचायतों के 24 गांव व उसके दर्जनों टोला में जलापूर्ति योजना से पेयजल आपूर्ति नहीं होने से ग्रामीणों में नाराजगी है. इससे लेकर ग्रामीणों ने 14 मार्च को सलाई चौक पर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने का निर्णय लिया है. इससे संबंधित विशेष बैठक दुबिल गांव में सारंडा महिला विकास समिति की अध्यक्ष सुनीता देवी और सचिव निलमणी सांडिल की अध्यक्षता में रविवार को हुई. बैठक में महिलाओं ने बताया की सरकार ने लगभग 10 करोड़ की लागत से बाईहातु में एवं 15 करोड़ की लागत से दोदारी में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए जलापूर्ति योजना की शुरुवात हुई थी. लेकिन आज घरों में पानी नहीं पहुंच पाया है. गर्मी शुरू होते ही स्थिति और खराब हो गई है. गांव के ज्यादातर चापाकल भी खराब हो चुके है. बैठक में शामिल महिलाओं ने खाली बर्तनों के साथ प्रदर्शन कर विरोध जताया.महिलाओं ने कहा कि सरकार सिर्फ क्षेत्र में जंगल व पहाड़ों का विनाश हेतु खदानों के खुलवाने पर जोर दे रही है. ऐसा कर गांव क्षेत्र के प्राकृतिक जल श्रोत को खत्म कर रही है. ग्रामीण खदान व विकास के बाधक नहीं हैं लेकिन खदानों से मिलने वाली डीएमएफटी फंड से गांवों में पानी तक नहीं मिलना भ्रष्टाचार व सरकारी व्यवस्था की पोल खोल रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि गंगदा पंचायत के दोदारी गांव स्थित जलमीनार से दोदारी गांव को छोड़कर बाकी गांवों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है.छोटानागरा पंचायत के बाईहातु जलापूर्ति योजना से दुबिल, छोटा जामकुंडिया, हेंदेदिरी, बहदा, राजाबेड़ा, धर्मरगुटू, सोनापी आदि अनेक गांव व उसके टोला में पानी नहीं पहुंच रहा है. गर्मी के समय तो जोजोगुटू स्थित कोयना नदी में बना इंटेक वेल में भी पानी नहीं पहुंच रहा है जिससे गांवों में पेयजल आपूर्ति प्रभावित है. कभी कभी पेयजल आपूर्ति होती है पर वह भी दूषित पानी होता है. यह समस्या सारंडा में अनियंत्रित खनन की वजह से हो रहा है. खदानों की मिट्टी व लौह पत्थर प्राकृतिक नदी-नाला का जलश्रोत को भर दिया है जिससे जल संकट उत्पन्न हो गया है.इस बैठक में सुनीता देवी, सुनीता बारीक, निशा तांती, चन्द्रावति दास, नीलमणी सांडिल, लक्ष्मी सांडिल, गुरुवारी हुरद, सिरमती कुम्हार, मीनु दास, चांदू चाम्पिया, सुरु हंसदा, बासमती हंसदा, सुखमति चाम्पिया, जेमा चाम्पिया, जेमा देवगम, चांदू देवगम, रोयवारी चाम्पिया, मानकी लागुडा़ देवगम, मानकी दुनु चाम्पिया, मुखिया राजू सांडिल, मंगल हंसदा, पूर्व मुखिया भोंज चाम्पिया, मुंडा राऊतु चाम्पिया, वीर सिंह हंसदा, देवेन्द्र देवगम, सुरेश हंसदा, पोदू गोप, चुम्बरु चाम्पिया, दशरथ चाम्पिया, देवेन्द्र चाम्पिया, सुखराम सुरीन, रघुनाथ हुरद आदि दर्जनों लोग मौजूद थे.