सृजन संवाद की 122वीं गोष्ठी में विनीता परमार का कहानी पाठ, सृजन संवाद के लोगों का हुआ लोकार्पण…
जमशेदपुर :- सृजन संवाद की 122वीं संगोष्ठी इस अर्थ में महत्वपूर्ण रही कि इस अवसर पर कहानी पाठ के साथ-साथ सृजन संवाद के `लोगो’ का लोकार्पण हुआ। `लोगो’ का निर्माण वैभवमणि त्रिपाठी ने संभव कराया। सृजन संवाद की संयोजिका डॉ विजय शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सृजन संवाद के एक सम्मानित मुकाम हासिल करने की बात कही। साहित्य, सिनेमा तथा कला को समर्पित सृजन संवाद के सतत कार्यक्रमों में देश-विदेश के कहानीकार अपनी कहानी का पाठ करते रहे हैं। इसी सिलसिले में इस गोष्ठी में विनीता परमार अपनी कहानी ‘स्विच ऑफ़’ कहानी लेकर उपस्थित हुई। कहानी पर टिप्पणी करने केलिए कहानीकार गीता दूबे तथा सोमा दासगुप्ता उपस्थित थीं।
कई सम्मानों से नवाजी गई विनीता परमार ने बहुत भावपूर्ण तरीके से अपनी कहानी ‘स्विच ऑफ़’ का पाठ किया। कहानी प्रकाशित हो चुकी है, पर कहानी का पाठ कहानीकार से मुँह से सुनने का आस्वाद भिन्न होता है। कहानी कोरोना काल के क्रूर समय में एक संवेदनशील नर्स एनी की मानसिक स्थिति को दिखाती है। कहानी पाठ के बाद कहानीकार गीता दूबे ने कहानी पर बोलते हुए कहा कि कहानी हमारे मर्म को स्पर्श करती है और कोरोना काल के भयंकर समय को शब्दों में साकार करती है। हम सब अपनों को आईसीयू में छोड़ते वक्त डॉक्टर और नर्स से मरीज का ध्यान रखने का आग्रह करते हैं। दूसरी टिप्पणीकार शिक्षिका सोमा दासगुप्त ने कहानी की कई मार्मिक पंक्तियो के हवाले से बताया कि कहानी में यथार्थ को उजागर किया गया है। डॉ. विजय शर्मा ने कहानी के एक भिन्न आयाम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कहानी पति-पत्नी के संवेदनशील और समझदारी भरे रिश्ते को दिखाती है। इसी विषय से संबंधित ‘लव’ तथा ‘द सी इनसाइड’ दो स्पैनिश फ़िल्मों का उन्होंने जिक्र किया।
डॉ. विजय शर्मा ने परिचयकर्ता वीणा कुमारी तथा टिप्पणीकारों का परिचय दिया। उन्होंने बीच-बीच में टिप्पणी करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया। वीणा कुमारी ने कहानीकार विनीता परमार का परिचय दिया तथा परमानंद रमण ने कहानी पर टिप्पणी करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस फ़ेसबुक लाइव व स्ट्रीमयार्ड का संचालन वैभव मणि त्रिपाठी ने किया जिसमें जमशेदपुर से गीता दुबे, अजय मेहताब, आभा विश्वकर्मा, कुमुद कमंडिल, रंजीत कौर गिल, जय जीवन प्रसाद, डॉ. नेहा तिवारी, डॉ. विजय शर्मा, वीणा कुमारी, सोमा दासगुप्ता, राँची से वैभव मणि त्रिपाठी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी, रश्मि शर्मा, देहरादून से फ़िल्म विशेषज्ञ मनमोहन चड्ड़ा, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पांडेय, गुजरात से उमा सिंह, दिल्ली से सिनीवाली शर्मा, बनारस से नाटककार जयदेव आदि बहुत सारे श्रोता/दर्शक जुड़े, उन्होंने इसे देखा, सुना, सराहा तथा कार्यक्रम पर टिप्पणियाँ कीं। ‘सृजन संवाद’ की मार्च माह की गोष्ठी सिनेमा पर होनी तय हुई है।