जंनसेवको के तबादलों को लेकर उपायुक्त कार्यालय पूर्वी सिंहभूम पर पूरे झारखंड के जिलापरिषद सदस्यों का महाधरना

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जमशेदपुर :-  त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को सरकार की ओर से अनेकानेक शक्तियां और अधिकार प्रदान किये गये हैं। इसके आलोक में सभी पंचायती राज संस्थाएं स्वायत्त शासन वाली संस्थाओं की तरह कार्य कर रही हैं और संपूर्ण राज्य में ये क्रियाशील हैं। इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्र जागरूक होकर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। लेकिन वर्तमान बदली परिस्थितियों में इसे और समर्थ एवं सशक्त बनाने की जरूरत है। इसके लिए निम्न सुविधाएं एवं शक्तियां प्रदान करने की जरूरत है। इससे पंचायती राज संस्थाएं, खास तौर से जिला परिषद और अधिक सक्रियता से आम लोगों सेवा कर सकेगी।  भारत में पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत जिला परिषद अध्यक्ष त्रिस्तरीय सरकार का अंग होने के चलते विकास से संबंधित सभी प्रकार की राज्य स्तरीय विभागीय बैठकों में जिला परिषद अध्यक्ष की सहभागिता अनिवार्य रूप से हो। डीआरडीए जिला परिषद के अधीन है। लेकिन व्यहार में ऐसा नहीं है। इसलिए इसका संपूर्ण प्रभार एवं कार्यकारी प्रधान पद जिला परिषद अध्यक्ष को मिले। पूर्वी सिंहभूम जिले में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के द्वारा असंवैधानिक एवं मनमाने तरीके से किए गए जनसेवकों के तबादले और पदस्थापना को अविलंब रद्द किया जाए। जिले में ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित सभी शासनिक एवं प्रशासनिक बैठकों में जिला परिषद अध्यक्ष की सहभागिता अनिवार्य रूप से हो। जिला परिषद अध्यक्ष एक जिम्मेदार एवं महत्वपूर्ण निर्वाचित पद है, जिसे पंचायती राज नियमावली के अनुसार राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। वर्तमान महंगाई को देखते हुए उसे सम्मानजनक मानदेय के अलावा आवास, कार्यालय व्यय, अंगरक्षक, वाहन, वाहन चालक और निजी सहायक आदि की सुविधाएं प्रदान की जाए। केंद्र सरकार के पंचायती राज के प्रमुख की उपस्थिति में हर 3 महीने पर राज्य में जिला परिषद अध्यक्षों के साथ बैठक आयोजित हो एवं कार्य योजनाओं एवं क्रियान्वयन पर विचार हो।  जिला परिषद अध्यक्षों के द्वारा जिला से संबंधित शिकायतें और समस्याएं, जो सरकार, निदेशक, सचिव, प्रधान सचिव को भेजी जाएं, उन पर त्वरित संज्ञान लेते हुए निष्पादन सुनिश्चित हो। राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में सभी विभागों को दिए गए निर्देशों की प्रतिलिपि जिला परिषद अध्यक्षों को भी अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाए। सरकार द्वारा पंचायत राज अधिनियम के तहत 29 विभाग पंचायतों को मिले हैं। उक्त विभाग तत्काल प्रभाव में लाए जाएं।  सभी विभागों के पदाधिकारियों-कर्मचारियों को पंचायत प्रतिनिधियों के प्रोटोकाल का पालन करना सुनिश्चित किया जाए।  जिला परिषद सदस्यों के नगण्य मानदेय को गंभीरता से लेते हुए सम्मानजनक मानदेय दिया जाए, जैसा कि केरल और बिहार में दिया जाता है।  जिला परिषद सदस्यों की ओर से प्रस्तुत जन समस्याओं को सभी विभाग महत्व दें और समाधान करें यह सुनिश्चित हो।  त्रिस्तरीय पंचायती राज के प्रतिनिधि जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जिला परिषद सदस्य , पंचायत समिति के प्रमुख व उप प्रमुख, पंचायत समिति सदस्य ,मुखिया और वार्ड सदस्यों को समय पर मानदेय, भत्ता और यात्रा भत्ता मिले, यह सुनिश्चित होना चाहिए। पंचायत राज व्यवस्था में जितने विभाग समायोजित हैं, उन पर पूर्ण रूप से अधिकार जिला परिषद अध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख और मुखिया को दिया जाए। 2014-2019 के दौरान पंचायत प्रतिनिधि रहे रहे पंचायत प्रतिनिधियों के बकाया मानदेय का भुगतान अविलंब किया जाए।

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