मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार, बनने लगे पंडाल 26 को मनाया जायेगा सरस्वती पूजा
दावथ (रोहतास): वरदायिनी मां सरस्वती की पूजा को लेकर ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में चहल पहल तेज हो गयी है। मूर्तिकार योगिनी निवासी राकेश दुबे मूर्तियों को गढ़ने में अपना श्रेष्ठ भूमिका देने के लिए जी जान से जुट गए हैं । मूर्तियों को नई- नई भाव भंगिमाओं के साथ करीने से गढ़ने का कार्य परवान पर है । मिट्टी की जीवंत मूर्तियां तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं । प्रतिमा को चार चरणों मे तैयार किया जाता है। पहले चरण में लकड़ी और पुआल से मूर्तियों का ढांचा तैयार किया जाता है । दूसरे चरण में मिट्टी से मूर्तियों का मॉडल एवं भाव भंगिमा तैयार किया जाता है । तीसरे चरण में रंग रोगन कार्य एवं चौथे चरण में साज सज्जा को अंतिम रूप दिया जाता है । हालांकि मूर्तियों को बनाने और बेचने का कार्य प्रखंडों के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में वर्षों से चल रहा है । लेकिन मौजूदा दौर में मूर्तिकार ज्यादा खुश नजर नहीं आते हैं। इसकी वजह जानने के लिए मूर्तिकार राकेश दुबे से बात की तो उन्होंने कहा कि पहले जैसी बात अब रही नहीं। जिससे हमलोगों के व्यवसाय में काफी असर पड़ा है। अगले साल की अपेक्षा इन साल लगभग 20 से 25 मूर्तियों को कम बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अब तो ज्यादा मेहनत करना पड़ता है पर उस अनुपात में मुनाफा नहीं होता है। कहा कि आजकल लोग स्टाइलिस्ट मूर्तियां चाहते हैं।