गुलजार की स्मृतिकथा का असमिया अनुवाद ‘स्मृतिर मानुहबोर’ का विमोचन

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गुवाहाटी:- ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित गुलजार हिंदी फिल्म जगत के लंबे समय के गवाह रहे हैं। उनकी स्मृतिकथा हिंदी फिल्म जगत के एक युग की तमाम बातों की गवाह है। इन कहानियों में रंगीन सिने जगत के लोगों के कई राज खुले हैं।’ गुलजार की स्मृतिकथा का नम्रता दत्त ने ‘स्मृतिर मानुहबोर’ शीर्षक नाम से असमिया में अनुवाद किया है, जिसका विमोचन करते हुए मुंबई के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक आकाश आदित्य लामा ने उपरोक्त बातें कही। शनिवार को काॅटन कालेज के काॅफी हाऊस में आयोजित एक अंतरंग कार्यक्रम में असम पब्लिशिंग कंपनी के संजय कुमार सान्याल द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के अन्य एक विमोचनकर्ता कोलकाता के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक रंजन घोष ने कहा कि भारतीय दर्शकों में गुलजार के गीत और फिल्मों की एक विशेष जगह है और गुलजार ने लंबी साधना के बूते अपनी यह खास जगह बनाई है। उनकी यह स्मृतिकथा पाठकों को विभिन्न प्रकार से मनोरंजन प्रदान करेगा। मालूम हो कि अनुवादक नम्रता दत्त ने सन 1999 में ही गुलजार की कविताओं का अनुवाद किया था और जर्नल एंपोरियम ने प्रकाशित किया था। लगभग बाईस साल बाद दूसरी अनुवाद पुस्तक प्रकाशित होने पर प्रफुल्लित अनुवादक नम्रता दत्त ने कहा कि गुलजार के गीत और कविताएं हमेशा से सम्मोहित करती रही हैं और उनकी लेखन की आकर्षण शक्ति गीत-कविताओं की ही तरह सशक्त हैं। इस पुस्तक का अनुवाद मेरे लिए एक स्मरणीय साहित्यिक अनुभव है।
कार्यक्रम में प्रख्यात कविता पाठक अवनी बोरा ने गुलजार की चंद कविताओं का पाठ किया। आकाशवाणी गुवाहाटी के ग्रैड-1 अभिनेता के रूप में हाल ही स्वीकृत ॠतुपर्ण दास को इस मौके पर नम्रता दत्त ने सम्मानित भी किया। श्री दास के संचालन में आयोजित इस सभा में डाॅ अकुंठिता बरठाकुर, नयन प्रसाद, उत्पल चौधरी, तरुण कलिता, मानसप्रतिम शर्मा, शिवाणु बोरा, अनुपम हजारिका सहित कई साहित्यिक एवं पत्रकार उपस्थित थे।

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