सृजन-संवाद की 119वीं गोष्ठी कला यात्रा पर केंद्रित रही
जमशेदपुर:- साहित्य-सिने-कला संस्था ‘सृजन-संवाद’ की 12वें वर्ष की छठवीं गोष्ठी यानि इसकी 119वीं गोष्ठी ‘कला यात्रा’ पर केंद्रित रही। नवंबर माह की इस गोष्ठी में दिल्ली से सेरेमिक कलाकार सीरज सक्सेना ने अपनी कला यात्रा साझा की।
डॉ. विजय शर्मा ने वक्ताओं, टिप्पणीकारों, श्रोताओं-दर्शकों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि ‘सृजन संवाद’ ने साहित्य, सिनेमा तथा विभिन्न कलाओं पर कार्यक्रम प्रत्येक माह गोष्ठी करते हुए 11 वर्षों की सफ़ल यात्रा सम्पन्न की है। इसने अपनी पहचान एक गंभीर मंच के रूप में स्थापित की है। 12वें वर्ष की छठवीं गोष्ठी यानि इसकी 119वीं गोष्ठी में दिल्ली से प्रसिद्ध सेरेमिक कलाकार-लेखक सीरज सक्सेना वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार सीरज सक्सेना ने बचपन में परिवार की महिलाओं खासकर अपनी माँ के घरेलू कामकाज से कलात्मक रूचि प्राप्त की। माँ के साथ आटा गूँथते, रोटी बेलते, पूरी तलते, गुजिया बनाते उनके भीतर कला का प्रस्फ़ुटन हुआ। थोड़ा बड़ा होने पर उन्होंने इंदौर से कला की विधिवत शिक्षा ली और जापानी कलाकार ईदा सोईची के आमंत्रण पर जापान गए। भारतीय संस्कृति में रचे-बसे सीरज की कलाकृतियाँ विश्व के विभिन्न देशों में प्रदर्शित हैं। पूरी दुनिया में उनकी एकल व सामूहिक प्रदर्शनियाँ आयोजित होती रही हैं। भारत के विभिन्न शहरों के साथ स्पेन, ताइवान, लंदन, सर्बिया, पोलैंड आदि देशों में उनकी एकल प्रदर्शनियाँ लगी हैं। वे सिरमिक के अलावा चित्रकला, छापाकला, कपड़ा, धातु एवं लकड़ी के साथ भी काम करते हैं। कला और साहित्य पर उनकी पाँच पुस्तकें प्रकाशित हैं। साथ ही वे कई तरह के सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं। सीरज सक्सेना ने अपनी कलाकृतियों, इंस्टालेशन के चित्र भी दिखाए।
हर्बल तथा इनडोर प्लांट्स के लिए समर्पित दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज में पोलिटिकल साइंस की प्रध्यापिका इलाभूषण जैन ने कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग की तथा दक्षतापूर्वक पूरे कार्यक्रम का संचालन किया। लखनऊ की डॉ. मंजुला मुरारी ने सीरज सक्सेना के वक्तव्य पर टिप्पणी करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस वर्चुअल गोष्ठी में जमशेदपुर से गीता दुबे, आभा विश्वकर्मा, राँची से डॉ. कनक ऋद्धि, दिल्ली से डॉ. इलाभूषण जैन, डॉ. प्रज्ञा पांडेय, ओमा शर्मा, सुधीर नाइब, स्नेहल सिन्हा, राज ठाकुर, तेजस शाह, दिवाकर जोशी, गौरव शाह, धनन्जय कुमार द्विवेदी, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पांडेय, बैंगलोर से पत्रकार अनघा, गुजरात से उमा सिंह ‘किसलय’, राँची से वैभवमणि त्रिपाठी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी आदि बहुत सारे दर्शक जुड़े, उन्होंने इसे देखा, सराहा तथा इस पर टिप्पणियाँ कीं। कार्यक्रम में छात्रों की उपस्थिति सराहनीय रही क्योंकि अगले पीढ़ी को साहित्य, सिनेमा और कला का चस्का लगाना सृजन संवाद का एक ध्येय है।