मेरा चाँद नज़र आया…चाँद का दीदार कर सुहागिनों ने की अखंड सुहाग की कामना

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जमशेदपुर: गुरुवार को पूरे दिन निर्जला रहकर शाम में चांद का दीदार कर महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत पूरा किया.  करवा चौथ का व्रत पूरे उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. यह व्रत सूर्यदेव के निकलने से पहले शुरू कर चंद्रमा के निकलने तक किया जाता है. बता दे की  इस बार चाँद बादलो में छुपकर महिलाओं को खूब इंतजार करवाया. बारिश होने के कारण मौसम साफ़ नहीं था जिस वजह से चाँद अठखेलिय करते नज़र आये. वैसे तो चंद्रोदय का समय 7:46 था लेकिन चांद ने 8:30 बजे सुहागिनों को दर्शन दिया. चाँद को देखते ही वर्तियों के चेहरे खिल उठे. छलनी से चाँद को देखने के बाद सुहागिनों ने पति को देखा और पूजन के बाद उनके हाथ से मीठा और जल ग्रहण कर व्रत पूरा को किया.

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इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, और कई जगह कुंवारी कन्याए भी अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं. यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस व्रत मे सास अपनी बहु के लिए सरगही बनती है, और उपवास रखने वाली महिलाये सारगही खाने के बाद से अपनी उपवास रखती है। इस व्रत मे शाम के समय सुहागिन महिलायें समूह मे गौरी और गणेश का पूजा विधिवत करने के बाद चंद्रमा को अर्घ देती है और इसके बाद ही वो अपना निर्जला उपवास खोलती है.

महिलाओं ने चाँद का किया दीदार

अनुजा उपाध्याय, आदित्यपुर

आदित्यपुर की रहने वाली अनुजा उपाध्याय करवाचौथ का व्रत 6 साल से कर रही है. वो कहती हैं की इस पर्व को लेकर बहुत उत्साह रहता है. खुद को सवारने का मौका मिलता है, मुझे बहुत पसंद है 16 श्रृंगार करना और तैयार होना. इस बार चाँद ने खूब इंतजार करवाया. लेकिन जैसे ही दिखा मैंने चाँद को अर्घ देकर छलनी से अपने पति को देखा, उनके हांथो मीठा और पानी पी कर अपने व्रत को पूरा किया.

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प्रियंका और दिवासिश, आदित्यपुर-2

आदित्यपुर की रहने वाली प्रियंका ने बताया की ये उनका दूसरा करवाचौथ था पति के द्वारा लायी गयी साड़ी को पहनकर पूजा की, चांद को अर्घ दिया और चाँद के साथ पति का चेहरा देख व्रत पूरा किया, बड़ों का आशीर्वाद लिया. उन्होंने बताया की इस बार बारिश के कारण वो बहार मेहंदी नहीं लगवाने जा पाई थी फिर उन्होंने खुद एक हाँथ पर लगाया और दुसरे हाँथ पर नहीं लगा पाने से उनके पति ने मेहंदी लगा दी, इसलिए इसबार का करवाचौथ उनके लिए और स्पेशल बन गया.

 

रेनू देवी 

बागबेरा की रहने वाली रेनू देवी ने बताया की ‘हमने करवा चौथ मे  सुबह सरगहि खाई उन्होंने बताया की सरगहि के लिए कुछ स्पेशल पकवान बनाई थी. सरगहि खाने के बाद से पूरा दिन नीरजला उपवास होता है और शाम को व्रत खोलने के पहले हम पूजा के लिए थाली तैयार कीये उसमे दीपक, सिंदूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और चावल की बनी मिठाई रखे थे और करवे में जल भरकर मां गौरी और गणेश की पूजा की .चंद्रमा के निकलने पर छन्नी से में चन्द्रमा को देखने के बाद अर्घ्य दिए और व्रत को पूरा किया.

प्रियंका शर्मा, बागबेड़ा

बागबेड़ा  की रहने वाली प्रियंका शर्मा ने बताया की उन्होंने लगातार तीन साल करवा चौथ की लेकिन पिछले साल उनकी स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण वो करवा चौथ नहीं कर पई थी. उन्होंने बताया की इस बार वो करवा चौथ का उपवास रखा और मंदिर मे पूजा करने के बाद वो छन्नी से चंद्रमा को देखी और खीर खाकर व्रत खोली है.

 

अंजलि चौधरी

अंजलि चौधरी ने बताया की उनका यह पहला करवा चौथ का व्रत था, वो इस व्रत के लिए पहले से ही काफी उत्साहित थी. करवा चौथ के पूजा के लिए वो बाजार से डेकोरेट किया हुआ थाली, छन्नी,और लोटकी खरीद कर लाई.  उन्होंने बताया की शाम में उन्होंने अपने पति के हाथों से बने हुए भोजन से व्रत खोला.

 

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