गीता में सभी शास्त्रों का तात्विक ज्ञान समाहित है – डॉ. कल्पना आठल्ये

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जमशेदपुर:- ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम श्रृंखला के तहत आज गुरुवार को जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज के संस्कृत एवं दर्शनशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला के 43 वीं कड़ी में “श्रीमद्भगवद्गीता का आज के युग में औचित्य”विषयक व्याख्यान हेतु आमंत्रित मुख्य वक्ता के रूप में गोगटे जोगलेकर महाविद्यालय ,रत्नागिरी, महाराष्ट्र की संस्कृत विभागाध्यक्ष ‘डॉ कल्पना आठल्य’ ने सभी को संबोधित किया। उन्होंने अपने सारगर्भित वक्तव्य में कहा कि गीता सर्वशास्त्रमयी है, इसमें सभी शास्त्रों का तात्विक ज्ञान समाहित है। गीता मनुष्य जाति का पहला मनोविज्ञान है ।जो अर्जुन युद्ध करने के लिए तैयार नहीं थे उन्होंने युद्ध किया और विजय भी प्राप्त किया। इसका विश्लेषण करने से यह तथ्य सामने आता है कि गीता में मानसशास्त्र (साईकोलॉजी) के तत्व प्रतिपादित किए गए हैं। गीता में व्यवस्थापन शास्त्र (मैनेजमेंट) का भी प्रतिपादन हम देख सकते हैं । गीता का उपदेश संवादात्मक शैली में मानव जीवन की नैतिक ,व्यवहारिक तथा आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है ।

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दैनिक व्यवहार में मनुष्य को कैसा बर्ताव करना चाहिए, अपने आचरण को कैसे रखना चाहिए, यह भी गीता की सहायता से हम जान पाते हैं। आज पूरे विश्व में अनेक लोग गीता का अध्ययन, पठन-पाठन करते हैं और अपना जीवन समृद्ध बनाने के लिए गीता से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं । व्याख्यानमाला के संरक्षक एवं कॉलेज के प्राचार्य डॉ सत्यप्रिय महालिक ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य वक्ता सहित सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं शुभकामनाएं दी। मंच का सफलतापूर्वक संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष एवं व्याख्यानमाला की संयोजिका डॉ.लाडली कुमारी तथा धन्यवाद ज्ञापन दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ अर्चना कुमारी गुप्ता ने किया। इस अवसर पर वर्कर्स कॉलेज के शिक्षक ,शिक्षकेतर कर्मचारी तथा छात्र – छात्राओं के साथ देश के विभिन्न प्रांतों से शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहें ।

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