करीम सिटी कॉलेज के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया गया आयोजन

Advertisements
Advertisements

जमशेदपुर :- जनसंचार विभाग करीम सिटी कॉलेज के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुंबई से सिनेमा लेखक निर्देशक अविनाश त्रिपाठी, संताली साहित्यकार जोबा मुर्मू ,उर्दू के वरिष्ठ पत्रकार शाकिर अज़ीमाबादी तथा वरिष्ठ साहित्यकार समीक्षक  विजय शर्मा ने भाग लिया।

Advertisements
Advertisements

उल्लेखनीय है कि मास कम्युनिकेशन विभाग के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में चल रहे आयोजनों के सिलसिले में यह एक और कड़ी थी। संगोष्ठी का उद्देश्य मातृभाषा में मीडिया लेखन  की स्थिति और संभावनाओं का आकलन करना था। सभी वक्ताओं ने मातृभाषा में मीडिया लेखन की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम का आरंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर मोहम्मद रियाज द्वारा अतिथियों के स्वागत संबोधन से हुआ।

क्षेत्रीय सिनेमा का बढ़ता दबदबा विषय पर बोलते हुए अविनाश त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को बताया कि किस तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म ने सिनेमा को भाषा के बंधनों से आजाद कर दिया है साथ ही उन्होंने सिनेमा को दृश्य माध्यम होने की वजह से भाषा की रुकावट से ऊपर बताया। जनजातीय भाषा में साहित्य और पत्रकारिता की संभावनाओं पर बोलते हुए जोबा मुर्मू ने बताया कि  जब आप अपनी मातृभाषा में बात रखते हैं तभी आपके वर्ग को सच्चा प्रतिनिधित्व मिल पाता है। अपने आप को व्यक्त करने के लिए शब्दों का जो खजाना मातृभाषा में होता है वह किसी अन्य भाषा में नहीं मिल पाता। उन्होंने आदिवासी छात्र छात्राओं से संताल भाषा में तथा अन्य को अपनी मातृभाषा में पत्रकारिता करने का आह्वान किया। समाचार पत्र के लिए विज्ञापन कितने महत्वपूर्ण है और कैसे वे स्थानीय भाषा में पत्रकारिता के लिए बाधा बन जाते हैं, उन्होंने इस पर भी प्रकाश डाला। शाकिर अज़ीमाबादी ने अपने 40 साल के उर्दू पत्रकारिता के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उर्दू भारत की गंगा जमुनी तहजीब का प्रतिफल है।इसका संवर्धन भारतीय संस्कृति के मूल्यों का संरक्षण है। उन्होंने नई प्रतिभाओं के उर्दू लिखना पढ़ना सीखने पर जोर दिया।भाषाओं के बढ़ते संसार पर बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार विजय शर्मा ने बताया कि लेखक अपनी मातृभाषा और स्थानीय संस्कृति में डूब कर लिखे, तभी वह अच्छे साहित्य की रचना कर पाता है। अनुवाद के सहारे साहित्यकार  कहीं भी पहुंच सकता है और कोई भी पुरस्कार हासिल हो सकता है। कार्यक्रम में विषय प्रवेश कराते हुए विभाग की अध्यक्ष डॉ नेहा तिवारी ने भी विद्यार्थियों से अपनी मातृभाषा को सशक्त करने की अपील की और आशा व्यक्ति की कि वे भविष्य में अपनी मातृ भाषाओं में साहित्य,सिनेमा और पत्रकारिता का लेखन करेंगे। इस कार्यक्रम में मास कम्युनिकेशन के सभी सदस्य के विद्यार्थियों ने भाग लिया। साथ ही क्षेत्र की दूसरी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी भी शामिल हुए। विभाग से डॉ निदा ज़कारिया, डॉ रश्मि कुमारी, और नेहा ओझा, सैयद साजिद परवेज़ व सैयद शाहज़ेब सहित देश-विदेश के कई शिक्षक व साहित्यकारों ने भी हिस्सा लिया।

You may have missed