नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी के प्रबंधन के खिलाफ सड़क पर उतरे छात्र , उपायुक्त से लगाई इंसाफ की गुहार …

Advertisements
Advertisements

जमशेदपुर :- वैश्विक महामारी कोरोना में शिक्षा जगत सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है , लेकिन कुछ शिक्षण संस्थान इसे आपदा में अवसर के रूप में भी ले रहे है । बता दें कि शहर के नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी में इसका खास असर देखा जा रहा है । एक तरफ कोरोना के दौरान ऐसा देखने मिला जब लोग ईलाज और ऑक्सीजन की कमी के कारण तड़प-तड़प कर मर गए।  केंद्र और राज्य सरकारें बस बदहाली का रोना रोती रहीं।  मगर अभी त्रासदी का दूसरा स्वरूप उससे भी भयावह सामने आ रहा है। उसके बदवजूद भी नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के मनमानी करने पर छात्र-छात्राएं संस्थान के तुगलकी फरमान के विरोध में आंदोलन के लिए सड़क पर उतर चुके हैं और इसका कारण है कि संस्थान परीक्षा में वैसे छात्रों से प्रतिदिन के हिसाब से 5 सौ रुपए चार्ज कर रहा है, जिनकी ऑनलाइन क्लास के माध्यम से 65% उपस्थिति नहीं हुई है। छात्रों को संस्थान की ओर से यहां तक कह दिया गया है कि अगर परीक्षा में बैठना है तो हर हाल में फीस के साथ जुर्माना भरना ही पड़ेगा। जिसके बाद हताश परेशान छात्र-छात्राओं ने आंदोलन का रूख अख्तियार लिया है।

Advertisements
Advertisements

शुक्रवार को छात्र-छात्राएं जिला मुख्यालय पहुंचे और जिले के उपायुक्त से इंसाफ की गुहार लगाई है।  वही छात्र-छात्राओं के आंदोलन में भाजपा नेता विकास सिंह ने संस्थान पर मनमानी का आरोप लगाते हुए ऐसे संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर संस्थान छात्र-छात्राओं के साथ न्याय नहीं करती है, तो राज्यपाल से मुलाकात कर इन्हें इंसाफ दिलाया जाएगा।  फिर भी अगर इन्हें इंसाफ नहीं मिलता है, तो छात्र-छात्राओं के साथ वे भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे बहरहाल अंजाम चाहे जो भी हो, मगर वैश्विक आपदा की इस घड़ी में निजी शिक्षण संस्थानों का यह रूप निश्चित तौर पर भयावह और खतरनाक है. ऐसे संस्थानों के कारण छात्र- छात्राओं का मानसिक संतुलन बिगड़ता है और वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने को विवश होते हैं.

You may have missed