कातिल के नगर में दुख की दवा ढूंढ रहे हैं…असलम बद्र की पुस्तक ” शौक हर रंग ” का विमोचन नन्हे बच्चों ने किया…
जमशेदपुर:- साकची करीम सिटी कालेज प्रेक्षागृह में शहर के मशहूर शायर असलम बद्र की किताब,काव्य रचना, शौक़ हर रंग का विमोचन उनके ही परिवार के नन्हें बच्चों ने किया। यह उनकी 7 वी पुस्तक है। इस मौके पर ग्रांड मुशायरे का आयोजन काविश संस्था के सौजन्य से किया गया।
इस रूहानी मुशायरे की अध्यक्षता सफ़दर रज़ि वाइस चांसलर ऑफ अर्का जैन यूनिवर्सिटी ने किया जबकि मुख्य अतिथि मंसूर अली एवं विशिष्ट अतिथि मौलाना अंसार खान जिला उपाध्यक्ष पूर्वी सिंहभूम जिला कांग्रेस कमेटी सह झारखंड प्रदेश अल्पसंख्यक विभाग सचिव एवम अन्य थे।
कार्यक्रम में सिर्फ एक महिला कवयित्री और विशिष्ट अतिथि में संस्कृति सोशल वेलफेयर फाउंडेशन अध्यक्ष मुनमुन चक्रवर्ती थी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के बाद अन्य विशिष्ट अतिथियों के नामो की संचालनकर्ता की और से घोषणा नहीं किए जाने के कारण महिला अतिथि मुनमुन चक्रवर्ती अपने को अपमानित महसूस की ओर कार्यक्रम के शुरुआत में ही क्षुब्ध होकर सभागार से निकल जाने में ही अपनी भलाई समझी। हालाकि बाद में संचालन कर्ता ने अन्य अतिथियों के नामों की घोषणा की। मुनमुन चक्रवर्ती का कहना था कि जहां महिलाओं का सम्मान ना हो वहां पर रुकना अच्छी बात नहीं।
इस अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद पहली बार गणतंत्र दिवस पर देश की पहली महिला और शहर की ख्याति प्राप्त युवा कवयित्री अंकिता सिन्हा ने अपनी दमदार प्रस्तुति दी, जिसको सभी दर्शको और शायरो ने सराहा। अंकिता सिन्हा ने अपनी गजल की शुरुआत की…
हम सब से अलग ,सब से जुदा ढूंढ रहे हैं। इक उम्र से जीने की अदा ढूंढ रहे हैं।। इस शहरे सितमगर में वफ़ाएँ नही मिलती।
भोले हैं बहोत,आप भी क्या ढूँढ़ रहे हैं।। सब जानते हैं सब का ख़ुदा एक है,लेकिन पर लोग यहाँ अपना ख़ुदा ढूंढ रहे हैं।।
जिस शक़्स को इक उम्र यहाँ खोजते गुज़री।
उस शक़्स को हम अपने सिवा ढूंढ रहे हैं।। मिलता ही नही अंकिता ज़ख्मों के सिवा कुछ।
क़ातिल के नगर,दुख की दवा ढूंढ रहे हैं।। अंकिता ने अपनी दूसरी प्रस्तुति, रुख़ पे तेरे वफ़ा की निशानी नही। प्यार कर मुझ से तू ,बेईमानी नही।। दिल की आंखों से पढ़ना मेरे प्रेम को। मैं हक़ीक़त हूँ कोई कहानी नही।। मुशायरे में एकमात्र कवयित्री अंकिता सिन्हा ने अपनी प्रस्तुति के बल पर उपस्थित दर्शकों और शहरों को प्रभावित किया।
मौके पर अन्य शायर एवं कवियों में अनवर कमाल, बहरीन, गल्फ़, दिलशाद नज़्मी,रांची, ज़फर इक़बाल रहमानी, संजय सोलोमन, इक़बाल, असलम, सऊदी अरब, मुश्ताक़ अहज़न, गौहर अज़ीज़, अरशद मोहसिनी, संचालक,सऊदी अरब, महताब अनवर, बदरे आलम खलिश, अफ़सर काज़मी, अहमद बदर, सैयद अहमद शमीम ने एक से बढ़कर एक बेहतरीन प्रस्तुति दी इससे पूरा माहौल खुशनुमा हो गया।