छात्रावास की कमी से जूझ रहा बिहार डॉ भारती,ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन
सासाराम (दुर्गेश किशोर तिवारी):-शिक्षा, शिक्षण संस्थान और छात्रावास की चुनौतिया विषय पर आजोजित युवा संवाद में छात्रावास की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने कहा कि विद्यार्थियों के बहुमुखी विकास में छात्रावास की बड़ी भूमिका है। छात्रावास केवल विद्यार्थियों के रहने–खाने की सुविधा तक सिमित नहीं है बल्कि उनके व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होता है। इसलिए ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में सरकार स्कूल से लेकर विश्वविद्यालयों तक छात्रावास की समुचित व्यवस्था करें।इस संगोष्ठी का आयोजन गैर-सरकारी संगठन ‘पैरवी’ की ओर से किया गया था।विचार गोष्ठी की शुरुआत करते हुए बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष डॉ भारती मेहता ने छात्रावास की उपयोगिता पर जोर देते हुए कहा कि गुरुकुल की परंपरा हमारे सनातन संस्कृति का हिस्सा है।उन्होंने छात्रावास को पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और आपदा जैसे खतरों से निपटने को तैयार रहने पर जोर दिया।पैरवी के अजय झा ने कहा कि महामारी के इस दौर में शिक्षा और शिक्षण संस्थान प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा, शिक्षण संस्थान और छात्रावास तीनों आपस में जुड़े हैं और एक-दूसरे को प्रभावित कर रहे है। छात्रावास कई दफा विद्यार्थियों के साथ भेदभाव करते है, खासकर प्राइवेट लॉज।प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधान पार्षद शिक्षाविद प्रो. संजय पासवान ने कहा कि बिहार में छात्रावास की स्थिति पर एक स्टेटस रिपोर्ट बनाने की जरूरत है।उन्होंने कहा की दुनिया में अच्छे छात्रावास किस तरह से काम कर रहे है उससे भी सीखने की जरूरत है।साथ ही बिहार के कल्याण छात्रावास में चल रहे संकट पर चिंता व्यक्त की।धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बंदी अधिकार आन्दोलन के संतोष उपाध्याय ने कहा कि बिहार के प्रतिष्ठित पटना विश्वविद्यालय में 20 हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ते है जिसमे 90 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्रा पटना से बहार के हैं जिन्हें छात्रावास की जरुरत होती है ।लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से मात्र तीन- चार हजार को ही छात्रावास की सुविधा मिलती है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी संस्थानों की क्या हालत होगी। शिक्षा, शिक्षण संस्थान और छात्रावास तीनों अब बाजार के हवाले कर दिया गया है।पटना साइंस कॉलेज के सहायक प्रोफ़ेसर और पूर्व डीएसपी डॉ अखिलेश कुमार,युवा सामाजिक कार्यकर्ता और जागो के महासचिव गगन गौरव,शिक्षाविद प्रशांत दूबे ने भी हिस्सा ली।इस कार्यक्रम में बिहार के अलावे कोटा,बनारस, रांची,जमशेदपुर, विशाखापत्तनम जैसे शहरों में पढ़ रहे बिहार के विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और निजीकरण, अत्यधिक फीस , रैगिंग, फेक इंस्टिट्यूट , छात्रावास में हिंसा और ड्रग्स की समस्या जैसे विषयों पर अपनी चिंता जाहिर की।