तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जुड़ेंगे देश – विदेश के प्रमुख साहित्यकार तथा प्रतिभागीगण
जमशेदपुर (संवाददाता ):-आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर आगामी दिनांक 1 से 3 अक्टूबर,2021 तक कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा द्वारा प्रायोजित तथा ए.बी. एम. महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित होने वाले “समाज के सशक्तिकरण में अनुसूचित जाति- जनजातीय महिलाओं का योगदान : वैश्विक परिदृश्य में” विषयक तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में उपेक्षित नारी-कर्म तथा उसके द्वारा प्रदत्त योगदान को महत्त्व प्रदान करना है। विश्व की संपूर्ण जनसंख्या का लगभग आधी आबादी महिलाओं की है। परिवार संचालन से लेकर समाज को व्यवस्थित- सुगठित करने में जितना योगदान पुरुष का होता है उतनी ही सहभागिता एवं परिश्रम महिलाओं की भी होती है। लेकिन पुरुष सत्तात्मक समाज में महिलाओं तथा उनके श्रम को कमतर आंकने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। महिला परिवार एवं राष्ट्र की धुरी है। उसी से संस्कृति -सभ्यता संपोषित संरक्षित तथा संचारित होती है। हमारे पूर्ववर्ती साहित्यकार मैथिली शरण गुप्त ने नारी को नर से अधिक महत्व प्रदान करते हुए लिखा है ।
किसी भी राष्ट्र की सभ्यता -संस्कृति उस राष्ट्र की महिलाओं की स्थिति पर आश्रित होती है। यदि स्त्री की दशा और दिशा सुदृढ़ रहेगी तो राष्ट्र की गरिमा और सभ्यता -संस्कृति उन्नत होगी। वर्तमान को सुदृढ़ बनाते हुए उन्नत भविष्य का निर्माण करने के लिए नारी को सशक्त करना आवश्यक है।महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। फिर भी उसे और उसके महत्व को कम आंका जाता है। समाज की इन उपेक्षिताओं में सर्वाधिक संख्या अनुसूचित जाति और जनजातीय महिलाएं हैं। भारत में जनजातीय आबादी संख्यात्मक रूप से अल्पसंख्यक होने के बावजूद समूहों की विशाल विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। ये महिलाएं आजस्वयं को सशक्त कर दृढसंकल्पित हो समाज और राष्ट्र के उत्थान हेतु विविध क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
अब समय आ गया है कि समाज के सशक्तिकरण में इन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातीय महिलाओं के योगदान को, उनके श्रम को विशेष महत्त्व की दृष्टि से देखा जाए। राष्ट्र की आन-बान-शान के लिए अनुसूचित जाति – जनजातीय महिलाओं ने समय-समय पर अपने त्याग और समर्पण का परिचय दिया है। साथ ही अपनी कर्मठता परिश्रम तथा दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ समाज तथा राष्ट्र को सशक्त बनाने में प्राण- पण से जुटी रहीं।इस तीन दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय अंतरविषयी सम्मेलन में विश्व के विभिन्न देश पौलेंड, अमेरिका, मॉरिशस, कनाडा आदि तथा भारत के विभिन्न प्रमुख क्षेत्रो गुजरात, राजस्थान, मध्य, प्रदेश छत्तीसगढ़, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली आदि के साहित्यकार तथा प्रतिभागीगण सम्मिलित होंगे |उद्घाटन दिनांक 01/10/2021 को प्रातः 11:00 बजे से एवं समापन 03/10/2021 को प्रातः 11:00 बजे से होगा | इसमें कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव, आदि प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षक गण एवं शोधार्थी सम्मिलित होंगे |