जमशेदपुर की इंकैब लि० (केबुल कंपनी) के कीमती एवं भारी कल-पुर्जों एवं अन्य परिसम्पतियों की चोरी की जाँच के संबंध में
राँची /झारखण्ड (संवाददाता ):- उपर्युक्त विषय में कल मुझे एक बेनामी पत्र प्राप्त हुआ है, जिसके साथ इंकैब से चोरी किये गये सामानों को वाहन से बाहर ले जाने वाले चित्र भी हैं। बेनामी पत्र और चित्रों की प्रति संलग्न है (अनु.-1)। बेनामी पत्र की कंडिका-2 को यहाँ हू-ब-हू उद्धृत करना प्रासंगिक हो रहा है, जो निम्नवत है:-
‘‘जिस दिन यह फोटो लिया गया उस दिन की वारदात यह है कि चोरी होता देखकर मैंने पुलिस गश्ती जीप को खबर किया। उसके बाद पवन राम नाम के एस.आई. पेट्रोलिंग गाड़ी से आये एवं मौका-ए-वारदात से आशीष नामक युवक को माल सहित पकड़ लिया। उसके बाद उनके मोबाईल पर गोलमुरी थाना के बॉडीगार्ड दिलीप का फोन आया कि बड़ा बाबु का आदेश है कि उसे छोड़ दिजिए नहीं छोड़िएगा तो समझियेगा। इसके बाद एस.आई. पवन राम ने उसे छोड़ दिया। इस घटना के बाद चोर और थानेदार के दहशत के मारे कोई भी इस चोरी को रोकने के लिए कदम उठाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है।’’
इस बेनामी पत्र के साथ चोरी के सामान को लादकर ले जाने वालों के तथा वाहन की तस्वीर भी है, जिसमें वाहन का नम्बर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। इसके पूर्व केबुल वर्कर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इंकैब की परिसम्पतियों की चोरी की जाँच कराने और दोषी पर कार्रवाई करने के बारे में एक प्राथमिकी जमशेदपुर के गोलमुरी थाना में दर्ज कराया था। जिसे प्राथमिकी के रूप में नहीं दर्ज कर पुलिस ने सनहा संख्या-19/20, दिनांक 14.10.2020 के रूप में दर्ज कर लिया। यह सूचना झारखंड सरकार के उद्योग विभाग ने झारखंड विधान सभा में दिनांक 07.09.2021 को पूछे जानेवाले मेरे अल्पसूचित प्रश्न संख्या-16 के उत्तर में दिया है। विधान सभा में प्रश्नोत्तर की प्रति संलग्न है (अनु.-2)।दिनांक 15.12.2020 के दिन मैं अपने विधान सभा क्षेत्र जमशेदपुर (पूर्वी) में स्थित केबुल बस्ती में जन-सम्पर्क कर रहा था तो वहाँ के निवासियों ने बताया कि बस्ती में कई दिनों से पानी नहीं आ रहा है, कारण कि इंकैब फैक्ट्री के भीतर लगे जलापूर्ति संयंत्र के पम्प की चोरी हो गई है। मैं वह स्थल देखने गया जहाँ पम्प अधिष्ठापित था। मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि बिना केबुल प्रबंधकों की मिलभगत के इतने भारी-भरकम पम्प को कंपनी के परिसर के भीतर स्थित दुरूह स्थल से ले जाना चोरों के लिए सम्भव नहीं होगा। मैं तत्काल गोलमुरी थाना गया और थाना प्रभारी को एक हस्तलिखित अभ्यावेदन प्राथमिकी के रूप में दिया। मेरे हस्तलिखित प्राथमिकी की प्रति और साथ में इसकी टंकित प्रति संलग्न है (अनु.-3)।
इंकैब (केबुल कम्पनी) पर फिलहाल लिक्विडेशन का संकट मंडरा रहा है। इसके पुनरूद्धार का प्रयत्न भी हो रहा है। NCLT द्वारा नियुक्त ‘रिजोल्युशन प्रोफेशनल’ ने इस हेतु Expression of Interest (EoI) प्रकाशित किया है। वेदान्ता और टाटा स्टील लाँग प्रोडक्ट्स जैसी बड़ी कम्पनियों ने इंकैब के पुनरूद्धार में रूचि प्रदर्शित किया है। एक ओर इंकैब के पुनरूद्धार और पुनरूद्धार नहीं हो पाने की स्थिति में इसके लिक्विडेशन की प्रक्रिया चल रही है, वहीं दूसरी ओर इंकैब फैक्ट्री के प्लांट और मशीनरी के बचे हुए कल-पुर्जों एवं सामानों की सुनियोजित तरीके से चोरी की जा रही है। मेरे द्वारा और केबुल वर्कर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा प्राथमिकी दर्ज कर चोरी की जाँच कराने और चोरी रोकने के लिए गोलमुरी थाना में दिये गये अभ्यावेदन के अतिरिक्त केबुल कंपनी परिसर का बच्चा-बच्चा जानता है कि पिछले 15-20 वर्षों से, जब से केबुल कंपनी को रूग्ण घोषित किया है, इसकी परिसम्पतियों एवं भारी कल-पुर्जों की खुले आम चोरी हो रही है। कई जगहों पर कम्पनी की दीवार को तोड़कर भारी वाहनों से सामान लादकर चोर बाहर ले जा रहे हैं और कबाड़ बाजार में इसे खपा रहे हैं। परन्तु आश्चर्य है कि इस बारे में स्थानीय पुलिस और प्रशासन चुप्पी साधे हुए है, मानो उन्हें इसका पता ही नहीं है। जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा लिखित सूचना देने के बाद भी न तो इसकी जाँच होती है और न ही दोषियों को पकड़ने की कोशिश होती है। जिस बेनामी पत्र की प्रति मैंने संलग्न किया है उसके अवलोकन से स्पष्ट होता है कि पुलिस की संलिप्तता किस सीमा तक इस मामले में है।
चोरी रोकने के संदर्भ में गोलमुरी थाना में दिये गये मेरे हस्तलिखित अभ्यावेदन और केबुल वर्कर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी के उपरांत मैं झारखंड सरकार के तत्कालीन आरक्षी महानिदेशक से मिला था और उनसे आग्रह किया था कि इसके आधार पर जाँच कराई जाय। इसमें न केवल स्थानीय पुलिस-प्रशासन बल्कि स्थानीय प्रभावशाली राजनेताओं और शहर के सफेदपोशों की मिलीभगत है। यह मामला सीआईडी की ‘इकोनॉमिक औफेन्स विंग’ द्वारा जाँच कराने लायक है। कारण कि न केवल केबुल कम्पनी की जमशेदपुर स्थिति परिसम्पतियों की बल्कि इसके कोलकाता और पुणे स्थित बेशकीमती परिसम्पतियों की हेराफेरी एवं अवैध बिक्री भी बड़े पैमाने पर हुई है। यह कारनामा केवल कम्पनी एक्ट के आधार पर NCLT और NCLAT के दायरे तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक सुनियोजित आर्थिक अपराध है। इसलिए इसकी जाँच किसी सक्षम जाँच ऐजेंसी से कराई जानी चाहिए। परन्तु आश्चर्य है कि विधान सभा में मेरे प्रश्न के उत्तर में दिनांक 07.09.2021 को सरकार ने बता दिया कि इस मामले में गोलमुरी थाना में प्राथमिकी दर्ज नहीं कर केवल सनहा दर्ज किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि स्थानीय पुलिस इस मामले को कितना हल्के में ले रही है। सवाल है कि जमशेदपुर पुलिस ने ऐसे गंभीर मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सनहा क्यों दर्ज किया ? इस बारे में उनसे स्पष्टीकरण पूछा जाना चाहिए।आप सहमत होंगे कि केबुल कम्पनी की परिसम्पतियाँ राज्य की और कम्पनी के शेयरधारकों की परिसम्पतियाँ हैं। इनके साथ केबुल कर्मियों का भविष्य जुड़ा हुआ है। अगर कोई समूह जानबूझकर इनकी चोरी करा रहा है अथवा हेराफेरी करा रहा है तो यह एक आर्थिक अपराध की श्रेणी में आनेवाला कृत्य है। ऐसे कृत्य की जाँच राज्य सरकार की पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर किया जाना चाहिए। इससे वैसे ठगों का पर्दाफाश होगा, जिनकी रूचि केबुल कंपनी चलाने में नहीं बल्कि इसकी परिसम्पतियाँ हड़पने में रही है, जिसका सर्वाधिक प्रतिकुल प्रभाव केबुल कर्मियों और उनके परिवारों पर पड़ रहा है।अनुरोध है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में आप इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करेंगे।