WHO की वैज्ञानिक का दावा, भारत में लंबे समय तक रहेगा कोरोनावायरस महामारी का खतरा.

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दिल्ली:-  विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत कोविड-19 के मामलों में तेजी दर्ज की जा सकती है. भारत में अभी कोरोनावायरस संक्रमण लंबे समय तक चल सकता है. द वायर को दिये इंटरव्यू में स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में यह महामारी के स्थानिकता के चरण में प्रवेश कर रहा है, जहां निम्न और मध्यम स्तर का संक्रमण जारी है. उन्होंने कहा कि निम्न और मध्यम स्तर का संक्रमण जारी रह सकता है, लेकिन वह ऐसे घातक अवस्था में नहीं पहुंचेगा, जैसा कुछ महीनों पहले देखा गया है. भारत के विभिन्न हिस्सों में विविध जनसंख्या और प्रतिरक्षा की स्थिति के कारण, यह काफी संभावना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में उतार-चढ़ाव के साथ स्थिति इसी तरह जारी रह सकती है.

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स्वामीनाथन ने कहा कि यह विशेष रूप से उन जगहों पर हो सकता है जहां आबादी अधिक संवेदनशील है. इसी प्रकार पहली और दूसरी लहर में जो आबादी कम प्रभावित हुई हैं और वहां टीकाकरण की गति कम है, उन जगहों पर आने वाले महीनों में संक्रमण का स्तर काफी बढ़ सकता है. केरल में कोविड -19 स्थिति के बारे में बोलते हुए, स्वामीनाथन ने कहा कि पिछले सप्ताह मामलों में गिरावट परीक्षण दरों में कमी के कारण हो सकती है.
उन्होंने द वायर को बताया कि शायद इसका संबंध ओणम के त्योहार वगैरह से है और टेस्ट पॉजिटिविटी दर बढ़ रही है, इसलिए मैं पिछले हफ्ते मामलों में आई गिरावट पर ज्यादा ध्यान नहीं दूंगी. हम इंतजार करेंगे और देखेंगे कि बाद के हफ्तों में क्या होता है और क्या यह एक निरंतर प्रवृत्ति है. कोविड-19 के वेरिएंट की निगरानी और जीनोमिक अनुक्रमण महत्वपूर्ण था.

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उन्होंने कहा कि हमें उन क्षेत्रों को देखने की जरूरत है जहां लगातार उच्च संचरण या उछाल हो रहा है. जैसे डेल्टा वेरिएंट हमारे सामने आया, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम किसी अन्य प्रकार से आश्चर्यचकित न हों. स्वामीनाथन ने कहा कि यह भविष्यवाणी करना असंभव है कि संक्रमण की तीसरी लहर भारत में कब आयेगी, लेकिन संचरण को प्रभावित करने वाले कारकों के आधार पर अनुमान लगा सकते हैं.
हमें इन बातों पर विशेष ध्यान देना होगा कि जनसंख्या का पृष्ठभूमि स्तर, प्रतिरक्षा, प्राकृतिक संक्रमण और टीकाकरण कवरेज कैसा है. साथ ही व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और प्रकार आदि कैसे हैं, इसपर भी नजर रखनी होगी. यदि इनमें से कोई भी परिवर्तन या यदि वे सभी संयोजन में बदलते हैं, जो कि दूसरी लहर के दौरान हुआ है, तो हमें निगरानी करने की आवश्यकता है.

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