हथिनी का नाम कैसे पड़ा बकरी की बच्ची:- 12 अगस्त हाथी दिवस पर विशेष।
दिल्ली:- 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है. इस दिवस की स्थापना करने का लक्ष्य लोगों से मुसिबतों में फंसे हाथियों पर ज्यादा ध्यान व रक्षा देने की अपील करना है. चीन में जंगली जानवरों के संरक्षण के प्रति लोगों की चेतना दिन-ब-दिन बढ़ने के साथ जंगली एशियाई हाथियों की संख्या भी तीन गुना बढ़ गयी है. चीन के युन्नान प्रांत के शिश्वांगबानना क्षेत्र के जंगली हाथी घाटी में एक चीनी एशियाई हाथी प्रजनन व बचाव केंद्र स्थित है. गौरतलब है कि इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2008 में की गयी. इस के बाद 20 से अधिक जंगली एशियाई हाथियों को बचाया गया है. इस रिपोर्ट में हम यहां रहने वाले एक छोटी हथिनी की कहानी बताएंगे, जिसका नाम है यांगन्यू यानी ‘बकरी बच्ची’.
एक हथिनी का नाम ‘बकरी बच्ची’ पड़ा है? क्योंकि जब यांगन्यू का जन्म हुआ, तो वह शायद कमजोर थी, बीमारी के कारण वह हाथी परिवार की गति के साथ नहीं चल सकती थी, पर उसकी मां बहुत बुद्धिमान थी. हाथी मां के विचार में इस बच्चे के जंगल में जीवित रहने की संभावना बहुत कम थी, इसलिये उसने यांगन्यू को मानव की एक झोंपड़ी में छोड़ दिया. फिर यांगन्यू बचाव केंद्र में आ गयी. यांगन्यू के स्वास्थ्य को जल्द से जल्द बहाल करने के लिये ब्रीडर ने उसे ज्यादा पौष्टिक बकरी का दूध पिलाया. इसलिये इस छोटी हथिनी को ‘बकरी बच्ची’ का नाम दिया गया.
गौरतलब है कि बचाव केंद्र में यांगन्यू का जीवन बहुत सुखमय है. हर दिन ब्रीडर हाथियों के लिये मल को साफ करते हैं, स्नान कराने क बाद हाथियों का तापमान जांचते हैं, शारीरिक जांच करते हैं. यांगन्यू के ब्रीडर छन के अनुसार जब यांगन्यू अभी अभी केंद्र में आयी थी, तो उसे अक्सर दस्त होते थे. इसलिये मैं हर दिन रूमाल का प्रयोग कर गर्म पानी से उसके बट को साफ करता था. सच कहूं तो मैंने अपने बेटे के प्रति इतना ध्यान नहीं दिया. धीरे धीरे यांगन्यू की तबीयत ठीक हो गयी. अब वह 6 वर्ष की हो गयी है. उसका वजन भी पहले के 76 किलोग्राम से वर्तमान के 1.3 टन तक पहुंच गया है.
यांगन्यू के बदलाव को देखकर ब्रीडर बहुत खुश हैं. पर उसे जंगल में वापस लौटना ब्रीडर का अंतिम लक्ष्य है. हर दिन ब्रीडर यांगन्यू समेत हाथियों को फील्ड सर्वाइवल ट्रेनिंग के लिए पहाड़ों जंगलों में लाते हैं. जंगल में हाथी न सिर्फ अधिक किस्म वाले पौधे खा सकते हैं, बल्कि वे जंगल में रहने की तकनीक भी सीख सकते हैं. ताकि भविष्य में वे अपने वास्तविक घर जंगल में वापस लौट सकें. यांगन्यू तो इस दिशा में कोशिश कर रही है. आशा है वह जल्द ही सफल हो सकेगी