माही ‘ महानायक ‘ – जन्मदिन पर विशेष ……………युवा साहित्य प्रेमी राहुल कुमार सिंह की कलम से ….

Advertisements
Advertisements
Advertisements

युवा साहित्य प्रेमी राहुल कुमार सिंह की कलम से ….

15 अगस्त 2020.. देश एक तरफ़ आज़ादी का 72 वाँ वर्ष का जश्न मना रहा था तभी इस सदी के और माँ भारती के एक ऐसे पुत्र जिसने क्रिकेट जगत में पूरे विश्व स्तर पर केवल अपना ही नहीं बल्कि पूरे भारत व सारे भारतवासी को अनेकों बार गर्व से लबालब भर दिया था, उसने उस जगत से अलविदा कहते हुए संन्यास लेने की घोषणा कर दी। औरों की तरह मैं भी बिल्कुल स्तब्ध रह गया था किन्तु कुछ चीजें निश्चित तौर पे होती हैं जिसे एक समय के बाद तय की गई दूरी से फिर वापिस आना ही पड़ता है।

Advertisements
Advertisements

7 जुलाई 1981 बिहार (बाद में झारखंड) के एक छोटे शहर रांची जहाँ आज भी उसी समय के जैसे ही ज्यादातर मिडिल क्लास परिवारों का डेरा होता है, उसी एक छोटे शहर में जन्मा माही ने क्रिकेट के मैदान में अपने गिरते संभलते कदम रखते हुए ये साबित कर दिया कि वाकई उड़ान तो हौसलों से ही होती है। मुझे माही के द्वारा सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली बात ये लगती है कि समय की मर्ज़ी चाहे जो हो अपने मन और जुनून का रथ का सारथी अगर हम खुदे ही है तो वो रथ कभी भी मंज़िल से भटक ही नहीं सकता। माही का वो शांत स्वभाव ये बड़े ही आराम से दर्शाता है कि हमारे अंदर का संतुलन हमें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में ढाल सकता है जिसका ढांचा तैयार करना लगभग नामुमकिन है।

‌मेरा मानना है कि हमारी पीढ़ी बहुत ही खुशनसीब है
जिसे माही के उस छक्के को लाइव देखने का मौक़ा मिला जिस छक्के ने पूरे 28 वर्ष बाद भारत को पूरी तरह से विश्व विजेता बना डाला और साथ ही साथ उस जज्बे के आगे सर झुकाने का मौक़ा मिला जिसकी वज़ह से हमनें कई दफा सर बड़े ही गर्व से ऊंचा किया है, मेरा मानना है कि हमारे लिए सबसे खूबसूरत तोहफ़ा है माही पर फिल्माया गया फ़िल्म MS Dhoni ‘The Untold Story’ जिसमें हम सब के चहिते सुशांत ने माही की परछाई बनकर रोल अदा की, मेरा मानना है कि भारतीय क्रिकेट टीम जो विश्व स्तर पर आज इतने कामयाब रिकॉर्ड के साथ एक ऊँचे पायदान पर कायम है कहीं न उस नींव को और मजबूत करने में माही का बहुत बड़ा योगदान रहा है जो कि हमारा देश कतई नहीं भुल सकता। यहाँ तक कि भारत के पहले विश्व कप विजेता के कप्तान कपिल देव ने भी धोनी को अब तक का सबसे सर्वश्रेष्ठ कप्तान माना है, हमारे बंगाल टाइगर व पूर्व कप्तान दादा ने ये तक कहा है कि अगर धोनी हमें 2003 वर्ल्ड कप के दौरान मिल गया होता तो भारत उस वर्ष भी विश्व विजेता बन चुका होता। एकदम सीधे तौर पे कहा जाए तो भारत के बेहतर युवा खिलाड़ियों को बेहतरीन बनाने का कार्य जो माही ने किया है उसका जीता जागता उदाहरण विराट और रोहित हमारे आँखों के सामने हैं जिन्होंने आज विश्व स्तर पे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनते हुए भारतीय क्रिकेट को आज की तारीख़ में सर्वश्रेष्ठ टीम के ढांचे में ढ़ाले रखने का काम बखूबी निभाया है।

ख़ैर, आख़िर में इन सारी बातों को साथ लेकर चलते हुए वापिस चलते हैं कि हमें माही के चरित्र को समझने,परखने की कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ी, उसका जीता जागता उदाहरण और एक अच्छी बात याद दिला दें जिस तारीख़ को माही ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा उसी दिन थोड़े ही वक़्त में भारत के एक और धुंआधार खिलाड़ी सुरेश रैना ने भी संन्यास लेते हुए दोस्ती की अलग मिसाल कायम कर दी। ये सारी बातें मैं इसलिए नहीं बतला रहा हूँ कि आप माही को जाने बल्कि सिर्फ़ और सिर्फ़ इसलिए बतला रहा हूँ कि संन्यास के बाद आज माही के पहले जन्मदिन पर हम सब एक बार फिर से नये रूप में माही को ख़ूब सारा प्यार दें क्योंकि क्रिकेट के रूप में देश सेवा ख़तम होते ही माही ने हमारी फ़ौज में अपनी सेवा से हमें हमेशा की तरह गर्व से लबालब भर डाला है। वो कहते हैं न.. “जेंटलमैन बनाए नहीं जाते, जेंटलमैन जन्म लेते हैं…”

जन्मदिन मुबारक महानायक.

~राहुल कुमार सिंह

You may have missed