CM नीतीश ने एक तीर से किए कई टारगेट , माझी सहानी कांग्रेस राज्य को एक साथ कर दिया खामोश।।

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बिहार / राजनीति (मोहिनी कर्माकर ):- बीते 16 वर्षों की बिहार की राजनीति को जानने समझने वाले सभी अब यह मान चुके हैं कि सुबह की सियासत में जिधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे उधर ही सत्ता होगी यही नहीं बिहार की राजनीति के बैलेंस सिंह स्पेक्टर होने के साथ ही सीएम नीतीश कुमार से टकराना या उन पर दबाव बनाकर किसी भी दल या नेता का सहज रह जाना कोई अचरज से कम नहीं है हाल में जब राज्य अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के अवसर पर बिहार एनडीए की सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष वाह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राज्य सुप्रीमो से बात की तो बिहार की सियासत में हलचल दिखने लगी अल्प बहुमत 243 सदस्यीय विधानसभा में 127 विधायकों का समर्थन की नीतीश सरकार पर खतरे की बात सियासी फिजा में गुजरने लगी लेकिन नीतीश कुमार के 1 गांवों ने सियासी बाजी उलट दी और सब को एक सियासी संदेश भी दे दिया कि हम से पंगा ना लेना दरअसल लालू प्रसाद यादव के बर्थडे के दिन जीतन राम मांझी की उनसे 12 मिनट की बातचीत हुई क्या बात हुई इस पर माझी ने अपने पत्ते नहीं खोले वहीं एनडीए सरकार की अन्य सहयोगी विकासशील हसन पार्टी के मुकेश साहनी ने भी लालू यादव से टेलिफोनिक बातचीत पर कहा कि इसे पर्दे में ही रहने दीजिए जाहिर है अल्प बहुमत वाली नीतीश सरकार को लेकर कयासबाजियों का दौर शुरू हो गया कहां जाने लगा कि लालू यादव कुछ ना कुछ ऐसा कर देंगे कि नीतीश सरकार खतरे में पड़ जाएगी बिहार में अब जल्दी ही महागठबंधन की सरकार बनने वाली है लेकिन सीएम नीतीश के चिराग दाव ने इन सब अटलकबजियों कयासबाजियो पर सीधा। लगा दिया है नीतीश कुमार से पंगा लिया तो चिराग पासवान के नेतृत्व के खिलाफ लोक जनशक्ति पार्टी में बकवास और छह में 5 सांसदों का सीएम नीतीश कुमार के साथ खड़े होने की बात जैसे ही सामने आई कि जीतन राम मांझी की पार्टी के सुरभि बदल गए माजी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा हमने चिराग पासवान पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि बिहार के सीएम नीतीश के खिलाफ साजिश रचने वालों के साथ ऐसा ही होगा मांझी की पार्टी के बदल गए सूर हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि जो लोग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अगर बात कहते हैं उनके लिए या बड़ी सीख है लोजपा की टूटने बता दिया है कि नीतीश के खिलाफ साजिश रचने वाले सफल नहीं हो सकते हैं उनका खुद का घर संभाल नहीं सकता तो वह दूसरे की तरह कभी भी पत्थर मार देते हैं यानी नितेश का तीर स्पीक निशाने पर बैठा है और माझी को या समझ आ गया है कि नीतीश कुमार के खिलाफ जाना खतरे से खाली नहीं है साफ नजर आ रहा है कांग्रेस की बेचैनी दूसरी और हवा में कांग्रेस ने संभावित टूट की खबरें भी आने लगी कई मीडिया रिपोर्टर और जेडीयू के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के 10 विधायक जेडीओ के लगातार संपर्क में है जो कभी भी टूट सकते हैं हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है या कोई नहीं जानता लेकिन कल नीतीश कुमार पर हमला वार्ड रही कांग्रेस के सूट भी बदल गया और पार्टी के प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा सीएम नीतीश से कांग्रेस के रिश्ते की दुहाई देने लगे और दावा किया कि कांग्रेस एकजुट है कांग्रेश दे रही है नीतीश से संबंधों का हवाला प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि एलजेपी को अपने तोड़ दिया लेकिन कांग्रेस कोई एलजेपी है क्या नीतीश कुमार कांग्रेश को नाराज कर देंगे क्या नितीश कुमार राजनीतिक व्यक्ति है वह कभी भी नहीं चाहेंगे कि कांग्रेसका दरवाजा उनके लिए बंद हो जाए मिश्रा ने दावा किया कि बिहार में एनडीए की सरकार गिरने जा रही है और गठबंधन की सरकार बनेगी लेकिन कांग्रेस नेता के कहने का अंदाज ही बता रहा है कि कांग्रेसी एम नितेश की अगली चाल से कितनी डरे हुए हैं नितेश कि कांग्रेस पर क्यों है नजर बता दे कि बिहार में इस समय कांग्रेस के कुल 19 विधायक हैं और टूटने के लिए दो तिहाई विधायकों किसी भी दल के लिए साथ आना जरूरी है दल बदल कानून के प्रबंधन के तहत विधायकों के टूटने के लिए 13 की संख्या होना अनिवार्य है इसके लिए जेडीओ की तरफ से अब ऑपरेशन कांग्रेस चलाया जा रहा है हालांकि अंजाम तक कब पहुंचेगा या नहीं कहा जा सकता है लेकिन राजनीतिक सूत्रों के अनुसार इतना जरूर है कि सीएम नीतीश की नजर कांग्रेश पर है और आने वाले दिनों में इसके परिणाम भी आपके सामने होंगे अब मौन क्यों हो गए मुकेश साहनी व मुकेश साहनी की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है कल तक जो बिहार सरकार को पूरा नवादा याद दिला रहे थे विधायकों के इच्छुक कोष को खर्च करने की इजाजत देने की दलील दे रहे थे वे नितेश के ऑपरेशन चिराग के बाद चुप्पी साध गए जाहिर है ऑपरेशन चिराग के एक ही तीर कई निशाने को एक साथ साथ गए हैं और बिहार की संभावित सियासत को लेकर भी काफी कुछ इशारा कर रही है यानी नीतीश कुमार से पंगा लेना बुद्धिमानी तो नहीं कि कहीं जाएगी उलझा हुआ है बिहार का सत्ता समीकरण दरअसल काया बाजी इसलिए कि बिहार भी वर्तमान सियासत सीटों के गणित में उलझी हुई दिखाई देती है नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए की सरकार के पास बहुमत से महज 5 सीटें ही अधिक है एनडीए को फिलहाल 243 सीटों में 127 विधायक का समर्थन प्राप्त है इनमें भारतीय जनता पार्टी के 74 जनता दल यूनाइटेड के 44 मेवालाल चौधरी के निर्धन के बाद खाली हुई सीट के बाद पार्टी 43 सीटें माझी की पार्टी हमके और मुकेश सहानी की पार्टी के 4 विधायकों का सपोर्ट है इसके साथ ही एक निर्णय का भी समर्थन नीतीश सरकार के प्राप्त है महागठबंधन की संभावना और राज्य पर खतरा है साफ है कि 243 सीटों वाली विधानसभा में फिलहाल बहुमत को लेकर कोई चिंता नहीं है लेकिन दूसरी और महागठबंधन में राजद के 75 कांग्रेस के 19 और वाम दल के 10 विधायक है यानी सीधे तौर पर 110 विधायकों की संख्या के साथ बहुमत से महज 12सीट दूर है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एअईएमआईएम के एमएलए है यह सभी विधायक पहले ही अपना रुख जाहिर कर चुके हैं कि वे महागठबंधन को बिना शर्त समर्थन है यानी बहुत से महज 7 सीटें दूर ऐसे मैं अगर माझी सहानी का थोड़ा भी मन डोला तो उनके आठ विधायक महागठबंधन के लिए सत्ता का गणित सुलझा सकते हैं लेकिन ताजा हालत बता रहे हैं कि खतरा तो राज मद पर भी मंडरा रही है क्योंकि जो जानकारी सामने आ रही है इसके अनुसार राजद के कई विधायक भी जदयू नेताओं के संपर्क में है वैश्विक रणनीति और विरोधी बेचैन बरहाल सियासत में दरअसल कोई नई चीज नहीं है लेकिन जिस अंदाज में बिहार की सियासत आगे बढ़ रही है इससे साफ है कि सीएम नीतीश कुमार की खामोश राजनीति का किसी के पास कोई जवाब नहीं है सीएम नीतीश बोलेंगे से अधिक करने में यकीन रखते हैं या उनकी कार्य शैली में भी दिखती है और राजनीति में भी जाहिर है बिहार में जोड़ तोड़ की सियासत के बीच आगामी कुछ दिनों तक हलचल तो जरूर रहेगी लेकिन सीएम नीतीश कुमार आमीन रहेंगे जबकि विरोधी बेचैन।

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