अब 2 गज नहीं, बल्कि 11 गज है जरुरी : वैज्ञानिक के. विजयराघवन
नई दिल्ली (एजेंसी): कोरोना से बचने के लिए मास्क पहनना, हाथ धोना, दो गज की शारीरिक दूरी रखना जैसे बातों को बहुत जोर सर से बताया जाता है पर अब ये नाकाफी होते जा रहे हैं. सरकारी द्वारा जारी विज्ञापनों में भी इन्हीं बातों पर जोर दिया जाता रहा है, लेकिन सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार विजयराघवन के अनुसार अब बचाव के नए मानक तय किए गए हैं.
देश के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के अनुसार कोरोना से बचावो के तरीको में बदलाव की जाने की बात कई गई है. वायरस का वेरियंट सार्स-कोव-2 10 मीटर दूर तक हवा में रह सकता है. यह करीब 33 फीट होता है.
वैज्ञानिक सलाहकार के नए मानकों के अनुसार कोरोना वायरस से बचाव के लिए पहले दो गज की दूरी काफी थी, लेकिन अब 10 मीटर यानी 33 फीट या करीब 11 गज की दूरी जरूरी है. चूंकि वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींक या खांसी के से उड़कर हवा में फैल दूर तक फ़ैल जाता है, इसलिए इससे बचाव के लिए इतनी दूरी जरूरी है. हां, यदि संक्रमित व्यक्ति या उसके पास खड़े व्यक्ति ने मास्क लगा रखा है तो संक्रमण फैलने का खतरा कम हो सकता है.
देश के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन ने कहा है कि खुले इलाकों में संक्रमित होने का खतरा कम है, क्योंकि वायरस तेजी से बिखर जाता है. उन्होंने कहा कि जब भी कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है तो उसकी नाक या मुंह से ड्रॉपलेट्स निकलते हैं और वे दूसरों को संक्रमित करते हैं.
गाइडलाइन के अनुसार संक्रमित व्यक्ति के गले के सलीवा या नाक बहने के कारण जो ड्रॉपलेट्स या एरोसोल निकलते हैं, उनसे दूसरे व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा होता है. जब संक्रमण ज्यादा होता है तो बड़े आकार के ड्रॉपलेट्स जमीन या सतह पर गिरते हैं, जबकि कम संक्रमण होने पर ये कण हल्के होने से हवा में दूर तक फैल जाते हैं.