आदित्यपुर 111 अस्पताल के संचालक डॉ ओपी आनंद ने पहले मंत्री को कूटने की बात कही, फिर माफ़ी मांगा और अब अस्पताल का नया ड्रामा , अस्पताल के बाहर नए नामांकन बंद और इलाजरत मरीजों को अन्यत्र शिफ्ट किए जाने का नोटिस लगाया, मरीजों के परिजन परेशान
आदित्यपुर: सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर- 2 स्थित 111 सेव लाइफ अस्पताल के प्रबंधक डॉ ओपी आनंद ने एक बार फिर से नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है. अब उन्होंने अपने अस्पताल के बाहर सूचना चस्पाकर जिले के उपायुक्त से अपने अस्पताल में इलाजरत मरीजों को अन्यत्र शिफ्ट किए जाने की मांग की है. साथ ही नए मरीजों का अस्पताल में नामांकन बंद कर दिया है. उपायुक्त के नाम चस्पाए गए पत्र में उन्होंने लिखा है कि पिछले दिनों स्वास्थ्य मंत्री पर दिए गए विवादित बयान के बाद उन पर कई धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है. जिससे वे मानसिक रूप से परेशान हैं और मरीजों की देखभाल कर पाने में असहज महसूस कर रहे हैं. जिससे गंभीर रूप से इलाजरत मरीजों का इलाज करना अब संभव नहीं है. उन्होंने जिले के उपायुक्त से अस्पताल के मरीजों को अन्यत्र शिफ्ट किए जाने का नोटिस चस्पया है. साथ ही नए मरीजों का नामांकन लेने से मना कर दिया है.
अस्पताल प्रबंधक के इस रवैये के बाद इलाजरत मरीज एवं उनके परिजन परेशान हैं. वैसे डॉ आनंद का यह फैसला उस वक्त आया है, जब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ दिए गए विवादित बयान के बाद जिला प्रशासन की ओर से उनके खिलाफ आरआईटी थाने में कांड संख्या 68/ 21 के तहत धारा 341, 323, 340, 304, 506, 188, के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है. सभी धाराएं गैर जमानती हैं. उन्हें 48 घंटों के भीतर जवाब देने को कहा गया है. वैसे सोमवार को डॉक्टर आनंद ने वीडियो जारी कर अपने बयान पर माफी मांगते हुए मीडिया पर पीत पत्रकारिता करने का आरोप लगाया था. साथ ही जांच अधिकारियों पर जबरन परेशान करने का भी आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था, कि उन्हें अपने बयान पर अफसोस भी है, और दुख भी, लेकिन इस मामले में मीडिया को पूरी बातें लोगों को नहीं दिखानी चाहिए थी. यह पीत पत्रकारिता का हिस्सा है, जबकि खुद डॉक्टर ओपी आनंद ने इस मामले में बयान दिया था और कहा था, कि जाकर स्टेटमेंट लगा दीजिएगा.और अब खुद ही मीडिया पर सवाल उठाने लगे हैं. वहीं जांच अधिकारियों पर बार-बार कागजात एवं दस्तावेज मांगे जाने को लेकर दबाव बनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा था, कि घटना के दिन वे आईसीयू में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे. उधर जांच टीम छोटे-छोटे कागजात के नाम पर उन्हें अपने ऑफिस में बुलाकर परेशान कर रही थी. जिससे झल्लाकर उन्होंने ऐसी टिप्पणी कर डाली. उन्होंने अपने बयान पर अफसोस जताया और कहा यह मेरी गलती है और उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं. ऐसे में अब डॉक्टर आनंद के इस पैंतरेबाजी से नया विवाद खड़ा हो गया है. वैसे अब देखने वाली बात ये होगी, कि अब उनके खिलाफ जो जांच और कार्रवाई हो रही थी उसका क्या होगा.