चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है
विशेष: हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं. चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत भी होती है. इसी दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के तौर पर भी जाना जाता है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादि के रूप में मनाया जाता है. चैत्र नवरात्रि के ये नौ दिनों को बेहद ही खास और पवित्र माना जाता है. इस दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
इस बार चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल 2021 से शुरू होकर 21 अप्रैल 2021 को समाप्त होगी.
कलश स्थापना की मुहूर्त
13 अप्रैल मंगलवार के दिन सुबह 05 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक घटस्थापना कर सकते हैं.
चैत्र नवरात्रि का त्योहार?
चैत्र नवरात्रि का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है. उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. भक्त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लेते हैं. पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और अखंड ज्योति जलाई जाती है. फिर अष्टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है. चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन यानी कि नवमी को राम नवमी कहते हैं. हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का जन्म हुआ था. रामनवमी के साथ ही मां दुर्गा के नवरात्रों का समापन भी होता है. रामनवमी के दिन पूजा की जाती है. इस दिन मंदिरों में विशेष रूप से रामायण का पाठ किया जाता है और भगवान श्री राम की पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही भजन-कीर्तन कर आरती की जाती है और भक्तों में प्रसाद बांटा जाता है.
चैत्र नवरात्रि व्रत के नियम
अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए.
– नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लें.
– पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
– दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
– शाम के समय मां की आरती उतारें.
– सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
– फिर भोजन ग्रहण करें.
– हो सके तो इस दौरान अन्न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
– अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें.
– अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.