3 साल से फैसले के इंतजार में बंदी, झारखंड हाईकोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त…



लोक आलोक सेंट्रल डेस्क:झारखंड हाईकोर्ट द्वारा तीन साल पहले सुरक्षित रखे गए फैसले आज तक घोषित नहीं किए गए हैं। यह खुलासा तब हुआ जब चार हत्या के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच के सामने पेश हुईं एडवोकेट फौजिया शकील ने बताया कि ये अपीलें 2012, 2014 और 2018 में दायर की गई थीं और इन पर 2022 की शुरुआत में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था, लेकिन तीन साल बाद भी फैसला नहीं आया।


बेंच ने इस देरी को गंभीरता से लिया और झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर 10 दिनों में जवाब मांगा है कि ये मामले किस जज ने सुने थे और किस वर्ष फैसला सुरक्षित रखा गया। कोर्ट ने झारखंड सरकार को भी नोटिस जारी कर आरोपियों की जमानत याचिका पर जवाब मांगा है।
चारों आरोपी लंबे समय से जेल में बंद हैं। 72 वर्षीय पिला पाहन 2009 में गिरफ्तार हुए और 2012 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली, वह अब तक 16 साल से जेल में हैं। सत्यानारायण साहू 2011 से जेल में हैं, उनकी अपील 11 साल से लंबित है। सोमा बाड़िंग भी 14 साल से जेल में हैं, जबकि धर्मेश्वर उरांव 12 साल से बंद हैं और उनकी अपील भी 7 साल से रुकी हुई है।
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के लिए भी चौंकाने वाली रही, क्योंकि जस्टिस सूर्यकांत खुद सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमिटी के प्रमुख रहते हुए देशभर में उन कैदियों को न्याय दिलाने के लिए काम कर चुके हैं जिनके केस वर्षों से लंबित हैं।
(यह रिपोर्ट न्यायिक प्रणाली में देरी की गंभीरता और कैदियों की पीड़ा को उजागर करती है)।
