एक्सएलआरआइ की सामाजिक पहल समिति सिग्मा-ओइकोस की ओर से छठे संस्करण का आयोजन
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जमशेदपुर: निजी क्षेत्र में देश की प्रतिष्ठित बी स्कूल एक्सएलआरआइ में विद्यार्थियों को सामाजिक व प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के प्रति जवाबदेह बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसी कड़ी में एक्सएलआरआइ में सिग्मा-ओइकोस के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सभी को भारत में कचरा प्रबंधन की स्थिति, समस्या व उसके समाधान के तरीकों से अवगत कराया गया. कार्यक्रम के दौरान साहस जीरो वेस्ट की संस्थापक विल्मा रोड्रिग्स मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद थी. उन्होंने एक्सएलआरआइ जमशेदपुर के डीन एकेडमिक्स डॉ. संजय पात्रो के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. दो सत्र में कार्यक्रम की आयोजन किया गया. मौके पर साहस जीरो वेस्ट की संस्थापक विल्मा रोड्रिग्स ने “एक उद्यमशीलता लेंस के माध्यम से अपशिष्ट प्रबंधन की खोज” विषय पर संबोधित किया.
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रोड्रिग्स ने कहा कि किसी भी व्यापार मॉडल में मुनाफे से पहले अपने कस्टमर के साथ ही प्लैनेट की सुरक्षा को प्राथमिकता के केंद्र में रखें. उन्होंने कहा कि भारत में 96 प्रतिशत कचरे का पुन: चक्रण कर उसे दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाा जा सकता है. इससे देश की अर्थव्यवस्था की गति को भी तेज की जा सकती है. अपशिष्ट प्रबंधन से अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करने में भी मदद मिलने के साथ ही लोगों को आजीविका भी दे सकता है. इस दौरान उन्होंने अपने संगठन साहस जीरो वेस्ट से जुड़ी कई अहम बातें बतायी कि किस प्रकार से डोर डू डोर कचरा उठाव के बाद उसका प्रबंधन किया जाता है. इस दौरान पर्यावरण संरक्षण व उसके सामाजिक प्रभाव पर भी चर्चा की गयी.
इन दो विषयों पर मुख्य रूप से हुई चर्चा
उद्यमिता क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना
अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक स्थायी और लाभदायक व्यवसाय का निर्माण करना
कचरा प्रबंधन से पैदा हो सकते हैं रोजगार
उद्घाटन सत्र के बाद पैनल डिस्कशन सत्र का आयोजन किया गया. जिसमें पहले सत्र में बिंटिग्स के सह संस्थापक सह निदेशक डॉ जयनारायण कुलथिंगल, सिटीजेन टेक्नोलॉजी के सह संस्थापक और जीवौल बायोफ्यूल के निदेशक एन चंद्रशेखर ने उप-विषय “लीवरेजिंग” व उद्यमिता क्षेत्र में प्रौद्योगिकी ” विषय पर चर्चा की. सत्र का संचालन आइएसएम धनबाद के शिक्षाविद संजीव आनंद साहू ने किया. इस चर्चा में पारंपरिक कचरा संग्रह प्रणाली को अक्षम करार देने के साथ ही इस क्षेत्र में कार्य कर रहे बिंटिक्स, सिटीजेन टेक्नोलॉजी व जीवौल बायोफ्यूल जैसे संगठनों द्वारा अपनायी गयी तकनीक पर चर्चा हुई. अपशिष्ट के साथ ही औद्योगिक कचरे पर नजर रखने के लिए प्लेटफॉर्म बनाने, एआई और एमएल तकनीक के इस्तेमाल, कचरे की पहचान व उसके वर्गीकरण पर बल दिया गया.
यह बात भी निकल कर सामने आयी कि अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का लाभ उठा कर प्रबंधन कमाई की क्षमता बढ़ा सकता है, रोजगार पैदा कर सकता है. वहीं, दूसरे पैनल डिस्कशन में “एक सतत और लाभप्रदता का निर्माण” विषय पर चर्चा हुई. जिसमें जाबिर करात (सह-संस्थापक ग्रीन वर्म्स) और जीवेश कुमार (सीईओ ग्रीन्सस्केप इको मैनेजमेंट) इसमें शामिल थे. मॉडरेटर की भूमिका में प्रोफेसर कल्याण भास्कर (संकाय सदस्य ) मौजूद थे. पैनलिस्टों ने इस बारे में चर्चा की कि पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव किस प्रकार एक दूसरे के पूरक हैं. साथ ही कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों ना हो, उससे ना सिर्फ हमारी वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी लाभ होगा. इस दौरान सोशल इंटरप्रेन्योर बनने का भी आह्वान किया गया.
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