वीमेंस कॉलेज : कोविड 19 का “पत्रकारिता और समाचार उद्योग पर प्रभाव” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का शुभारंभ

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जमशेदपुर :  पत्रकारिता व जनसंचार विभाग द्वारा कोविड 19 का पत्रकारिता और समाचार उद्योग पर प्रभाव पर वीमेंस कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का शुभारंभ आज दिन के 12 बजे से हुआ। पहले दिन अनुज सिन्हा, कार्यकारी संपादक, प्रभात खबर, रांंची और नवतन कुमार, राजनीतिक संपादक, संडे गार्जियन, नई दिल्ली का स्वागत किया। कल वेबिनार के दूसरे दिन बतौर स्रोतविद् दैनिक जागरण के समाचार संपादक शशि शेखर, दैनिकभास्कर के स्थानीय संपादक संजय पाण्डेय, प्रभात खबर के संपादक  अनुराग कश्यप व हिन्दुस्तान के वरीय समाचार संपादक प्रभाकर कुमार शिरकत करेंगे। पहले दिन गूगल मीट ऐप्लीकेशन के माध्यम से हुए इस वेबिनार में कोविड-19 संकट के मीडिया उद्योग पर पड़े प्रभाव और भविष्य की पत्रकारिता के स्वरूप पर चर्चा हुई। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्राचार्या प्रो. (डॉ.) शुक्ला महांती ने कहा कि कोविड-19 के चलते दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां ठप है। समाचार उद्योग का बुनियादी आर्थिक आधार विज्ञापन रहा है। उसमें तेजी से गिरावट आई है मीडिया में भी बेरोजगारी बढ़ी है। आजीविका का संकट खड़ा हुआ है। फिर भी हमारे पत्रकार समुदाय ने प्रतिबद्धता के साथ अपना धर्म निभाया है। पूरे भारत में पत्रकारों ने कोरोना वाॅरियर्स की तरह देश की जनता तक सही और प्रामाणिक खबरें पहुंचाई हैं। कई पत्रकार इस दौरान संक्रमित भी हुए लेकिन संकल्प में कमी नहीं आई।

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पहले वक्ता के रूप में प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक अनुज सिंहा ने कहा कि यह बिल्कुल सत्य है कि पत्रकारिता और मीडिया उद्योग आज संकट के दौर में गुजर रहा है। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है इस संकट के दौरान पत्रकारिता ने नए प्रतिमान भी स्थापित किए हैं। घर लौट रहे मजदूरों, गरीबों को लोगों ने बिना किसी प्रचार-प्रसार की भावना से खाने-पीने से लेकर के यातायात आदि की व्यवस्था कराई। मीडिया ने भी इसे जमकर उजागर किया। इससे दूसरे लोग भी प्रेरित हुए और एक मानवीय संस्कृति हमें इस दौरान बनती हुई देखने को मिली। अपराध, चोरी, डकैती जैसी घटनाएं हुई भी कम और मीडिया ने इन्हें स्पेस भी कम दिया। इसलिए एक स्वस्थ पत्रकारीय संस्कृति इस दौरान बढ़ी। उन्होंने माना कि पत्रकारिता के क्षेत्र में वर्क फ्राॅम होम मुफ़ीद संस्कृति नहीं है। ऑन स्पाॅट रिपोर्टिंग के दौरान खबर की प्रामाणिकता असंदिग्ध होती है। साथ ही पत्रकार सामाजिक परिवर्तनों का गवाह भी बनता है। वह एक प्रोफेशनल के अलावा एक व्यक्ति के रूप में भी ग्रूम करता है। प्रतिभागी छात्राओं के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया उद्योग में भी अन्य निकायों की तरह नौकरियां गई हैं लेकिन घबड़ाने की जरूरत नहीं है। पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी इस दौरान अपने को दक्ष बनायें। अपने व्यक्तित्व और भाषा के विकास पर काम करें। खुद को समय दें और आने वाली पत्रकारिता संस्कृति से पहले अपने को बेहतर मानव संसाधन के रूप में तैयार करें। हमें अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए काम पर लौटना ही होगा। जरूरी एहतियात बरतते काम करें तो हम निश्चय ही भय और तनाव से निकलकर सामान्य स्थिति में पहुँच जाएंगे।

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दूसरे वक्ता के रूप में शिरकत कर रहे संडे गार्जियन के राजनीतिक संपादक नवतन कुमार ने बताया कि कोविड 19 के चलते सकारात्मक और नकारात्मक दोनों असर हुए हैं। समाचारों को प्रमाणित करने के स्रोत कम हुए हैं क्योंकि सरकारी अधिकारियों से मिलना और कार्यालयों में पत्रकारों की स्वतंत्र आवाजाही बाधित हुई है। विज्ञापन के चलते आर्थिक आधार कमजोर हुए हैं तो बेरोजगारी मीडिया में भी बढ़ी है। लेकिन सकारात्मक रूप में देखें तो मेन स्ट्रीम मीडिया प्रामाणिक खबरों के सबसे विश्वसनीय स्रोत के रूप में प्रतिष्ठित हुई है।

वेबिनार का संचालन डॉ मिथिलेश कुमार चौबे ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन समन्वयक डॉ पुष्पा कुमारी ने किया। वेबिनार  जिसका तकनीकी समन्वयन बी विश्वनाथ राव ने किया। इस दौरान मासकाॅम विभाग की छात्राओं, शिक्षक-शिक्षिकाओं, स्वतंत्र चिंतकों सहित लगभग 150 लोगों ने ऑनलाइन प्रतिभागिता की।

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