डीजे-ट्रेलर विवाद में आखिर किसका पताका लहराया?

0
Advertisements

जमशेदपुर : डीजे और ट्रेलर को लेकर उठा विवाद में आखिर अंत में किसका पताका लहराया. इसमें जिला प्रशासन की जीत हुई है या अखाड़ा कमेटी की. रात के 8 बजे तक विवाद समाप्त हो गया था, लेकिन यह बात चर्चा में है इसमें किसकी जीत हुई है. इसमें किसका पलरा भारी रहा और कौन कौन बैकफुट पर आया. कुल मिलाकर दोनों तरफ की जीत लग रही है. पहले तो जिला प्रशासन की ओर से इक्का-दुक्का इलाके को छोड़कर बाकी जगहों से जुलूस भी निकलवाया गया. वहीं जो मांगें अखाड़ा कमेटी की ओर से की गयी थी उसको भी रात के 8 बजे तक मान लिया गया.

Advertisements
Advertisements

आते-आते देर कर दी सांसद ने

सांसद विद्युत वरण महतो ने पहल तो की लेकिन आते-आते देर कर दी. समस्या का समाधान भी करवा दिया, लेकिन यही पहल अगर वे पहले ही कर देते तब 31 मार्च की रात 8 बजे तक चला गतिरोध शुरू ही नहीं होता. अगर अखाड़ा कमेटी की जीत माने तो जुलूस निकालते समय बारिश ने भी खलल डालने का काम किया. इसके बाद जुलूस में शामिल अखाड़ा कमेटी के लोग वापस घर को लौट गये. जिला प्रशासन की ओर से भी सोशल मीडिया पर यह बात साफ कर दिया था कि केंद्रीय शांति समिति की बैठक में जो निर्णय लिया गया था उसी के हिसाब से जुलूस निकालवायेंगे. ऐसी स्थिति रात के 8 बजे तक बनी रही. डीसी और एसएसपी ने साफ किया था कि शहर में जुलूस निकालने को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है. अगर है भी तो उन्हें जानकारी नहीं है.

See also  पश्चिमी सिंहभूम के शिक्षकों ने राज्य स्तरीय निपुण समागम में लिया हिस्सा

कैसे हो गया समस्या का समाधान

सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में रामनवमी जुलूस निकाले जाने को लेकर उत्पन्न होने वाली गतिरोध पर प्रमुखता से खबरें प्रकाशित हो रही थी. क्या इसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं थी. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से यह बयान जारी किया गया कि उनके पास गतिरोध संबंधी किसी तरह की लिखित शिकायत नहीं की गयी थी. आखिर रात के 8 बजे ऐसा क्या हो गया है कि जिला प्रशासन और अखाड़ा कमेटी के लोग सर्किट हाउस में आयोजित आपात बैठक में शामिल हो गये और डीजे-ट्रेलर के साथ जुलूस निकालने की भी अनुमति दे दी गयी.

Thanks for your Feedback!