1.5 लाख रुपये का रेंट देकर खुशी से रहता है यह शख्स, घर खरीदने को बताता है नॉनसेंस काम…
लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क:- घर खरीदना बेहतर है या किराये पर रहना. फिलहाल इस पर बहस छिड़ी है. एक कंपनी के सीईओ कहते हैं कि वे 1.5 लाख रुपये महीना किराया देना पसंद करेंगे, बजाय घर खरीदने के. एक रियल एस्टेट आंत्रप्रेन्योर का कहना है कि किराये की जगह EMI दो, घर तो अपना हो जाएगा.
यदि आपको 20,000 रुपये के रेंट पर घर लेना पड़े तो कोई न कोई सलाह दे ही देगा कि भई इससे अच्छा तो अपना ही घर खरीद लो. मकान के किराये में कुछ पैसा और डालकर किस्त भरते रहना. कम से कम अपना घर तो होगा.. बिलकुल ऐसा ही हुआ इस शख्स के साथ, जो गुड़गांव में एक किराये के घर में रहता है और महीने के 1.5 लाख रुपये किराये में देता है. मगर, इस शख्स ने सामने वाले को ऐसा गणित समझाया कि उसे ही गलत साबित कर दिया.
पहले तो यह बता दें कि डेढ़ लाख रुपये महीने का किराया भरने वाला शख्स है कौन. यह शख्स बॉम्बे शेविंग कंपनी का फाउंडर और सीईओ शांतनु देशपांडे है. बॉम्बे शेविंग कंपनी एक बड़ी और प्रसिद्ध कंपनी है. शांतनु देशपांडे गुड़गांव की प्राइम लोकेशन पर रहते हैं, और मेन्टेनेंस मिलाकर महीने का किराया 1.6 लाख रुपये पड़ता है.
कैसे छिड़ा ये घमासान
दरअसल, हैदराबाद की एक रियल एस्टेट कंपनी एएसबीएल (ASBL) के सीईओ अजितेश कोरुपोलू ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा था कि किराया देने से अच्छा है कि ईएमआई दें, जिससे कि आप अपना घर बना पाएं. बस, यही बात शांतनु देशपांडे को समझ में नहीं आई या यूं कहें कि पसंद नहीं आई.
रियल एस्टेट आंत्रप्रेन्योर अजितेश ने लिखा था, “वर्किंग प्रोफेशनल के लिए रियल एस्टेट एक एसेट बन जाता है… मान लीजिए, आप 1 लाख रुपये का किराया दे रहे हैं. यदि आप 50-60 हजार रुपये अधिक दें तो घर ही आपका हो सकता है. यदि आप 10 साल तक भी रेंट देते रहेंगे तो आप अपने लिए कोई एसेट नहीं बना रहे हैं. जब आप EMI देते हैं तो अपने लिए एसेट बना रहे होते हैं.”
इसी के जवाब में बॉम्बे शेविंग कंपनी के शांतनु देशपांडे ने कहा, “मुझे यह गणित समझ नहीं आया. उदाहरण के लिए, गुड़गांव की प्रीमियम लोकेशन पर गोल्फ कोर्स में मैं 1.5 लाख रुपये का रेंट और मेन्टेनेंस मिलाकर 1.6 लाख रुपये देता हूं. जिस अपार्टमेंट में रहता हूं, वह लगभग साढ़े 7 से 8 करोड़ रुपये तक का है. यदि मुझे यह अपार्टमेंट लेना हो तो मुझे लोन लेना होगा. 70 प्रतिशत लोन है तो 6 करोड़ रुपये का होगा. इस पर महीने की किस्त 6-7 लाख रुपये होगी. जो रेंट मैं अभी दे रहा हूं, यह उससे 4 गुना अधिक है. तो मैं ऐसे घर में रह रहा हूं, जो EMI से एक-चौथाई है. ऐसे में घर खरीदने की कोई सेंस नहीं बनती.”
घर बदलना बहुत ही आसान
देशपांडे ने हालांकि यह भी कहा कि वह हमेशा अपने ऑफिस के आसपास ही रहना पसंद करते हैं. कंपनी ने कई बार अपने ऑफिस बदले हैं, तो ऐसे में किराये के घर में रहने का फायदा यह भी होता कि किसी भी समय घर बदलकर ऑफिस के आसपास घर लिया जा सकता है.
शांतनु देशपांडे ने एक और तर्क दिया कि घर बदलना बहुत आसान होता है. ज्यादा से ज्यादा 15 दिनों में आप नये घर में शिफ्ट हो सकते हैं. यदि आपको बड़ा घर चाहिए, जैसे कि 2 बेडरूम की जगह 3 बेडरूम या फिर 4 बेडरूम की जरूरत हो तो भी 15 दिन काफी हैं. मूव करना काफी आसान है. “मुझे ब्याज नहीं देना है, बल्कि मुझे रेंट देना है.”