ये सिस्टम के मुंह पर तमाचा है…’ सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल के भाषणों का हवाला देकर बोली ED’…

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लोक आलोक न्यूज सेंट्रल डेस्क :- जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ सुनवाई कर रही है. केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी सही नहीं थी. इसवजह से उनकी रिमांड भी सहीं नहीं थी.

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दिल्ली शराब घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है.

सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल की गिरफ्तारी सही नहीं थी. इस वजह से उनकी रिमांड भी सहीं नहीं थी. लेकिन ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी में किसी भी प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ है.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि इस मुद्दे पर बहस करें कि याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले में धारा 19 का उल्लंघन हुआ है तो अदालत दखल दे सकती है. इस मामले में इन्होंने पहले याचिका दाखिल की थी लेकिन हमने उस समय सुनवाई नहीं की थी.

चुनावी सभाओं में केजरीवाल के बयान का ईडी ने किया विरोध

ईडी ने सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष केजरीवाल के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि केजरीवाल अपनी सभाओं में कह रहे हैं कि अगर लोग आम आदमी पार्टी को वोट देंगे तो वे दो जून को जेल नहीं जाएंगे. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा की हमारा आदेश बिल्कुल स्पष्ट है. हमने अंतरिम जमानत की मियाद तय कर दी है कि कब से कब तक केजरीवाल को राहत दी गई है. हमारा आदेश स्पष्ट है. कौन क्या कह रहा है, इससे हमें मतलब नहीं है. बेहतर होगा कि हम कानूनी मुद्दे पर ही बहस केंद्रित रखें.

सॉलिसिटर मेहता ने कहा कि पीएमएलए की धारा 19 के तहत अथॉरिटी को ये तय करना चाहिए कि क्या ऐसा कोई मैटिरियल मौजूद है, जिसके लिए किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की जरूरत है. उसे एविडेंस का मूल्यांकन करने की न्यायिक शक्तियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर किसी की शिकायत पर किसी शख्स को गिरफ्तार किया जाता है तो उनकी सीआरपीसी के आधार पर गिरफ्तारी होती है. इसके लिए वे सीधे संवैधानिक कोर्ट नहीं जाते. अदालत को इस तरह उन दरवाजों को नहीं खोलना चाहिए. इसके भयानक परिणाम होंगे.

क्या है दिल्ली का कथित शराब घोटाला?

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया था. नई पॉलिसी के तहत शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई थीं.

दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही और जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया. कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था.

इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया.

मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था. मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था. आरोप लगाया गया कि नई नीति के जरिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.

रिपोर्ट में आरोप लगाया कि कोविड का बहाना बनाकर मनमाने तरीके से 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी. एयरपोर्ट जोन के लाइसेंसधारियों को भी 30 करोड़ लौटा दिए गए, जबकि ये रकम जब्त की जानी थी.

केजरीवाल को 10 मई को मिली थी जमानत

सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को 10 मई को अंतरिम जमानत मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव प्रचार करने के लिए एक जून तक की अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. उन्हें 2 जून को सरेंडर करना होगा. केजरीवाल को कुछ शर्तों पर रिहा किया गया था. इन शर्तों में एक शर्त इस केस को लेकर कोई बात करने की भी थी.

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