काँग्रेस ने किया सरयू राय पर पलटवार , पत्र लिखकर कहा कि विधायक सरयू राय जी “शोले” के अमिताभ बच्चन के सिक्के की तरह हर समय आप ही कि चित एवं आप ही कि पट नही चलेगी, यह जनता की सेवा के लिये प्रतिबद्ध “जनता का” “जनता के लिये” चुनी हुई झारखंड सरकार है,
जमशेदपुर :- वैसे तो अभी समय कोरोना महामारी का है लेकिन जमशेदपुर के सियासी जगत में जुबानी वाणों की जैसी बौछार हो रही उससे तो यही प्रतीत हो रहा कि चुनाव सामने है. बता दें कि राज्य के पूर्व मंत्री व विधायक सरयू राय जिस तेजी व आक्रमकता से स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की घेराबंदी करने में जुटे हैं, उससे अब बन्ना की पार्टी कांग्रेस भी फ्रंट पर आकर सरयू से सियासी जंग लडऩे को तैयार दिख रही है . शायद यही कारण रहा कि कांग्रेस के कोल्हान प्रमंडल के प्रवक्ता जम्मी भास्कर ने सरयू के सामने सवालों की बौछार कर उन्हें घेरने का प्रयास किया है.
काँग्रेस ने पत्र लिखकर कहा कि विधायक सरयू राय जी “शोले” के अमिताभ बच्चन के सिक्के की तरह हर समय आप ही कि चित एवं आप ही कि पट नही चलेगी, यह जनता की सेवा के लिये प्रतिबद्ध “जनता का” “जनता के लिये” चुनी हुई झारखंड सरकार है
झारखंड प्रदेश काँग्रेस कोल्हान प्रमंडल के प्रवक्ता जम्मी भास्कर ने कहा कि वर्तमान आपदा के समय जब पूरे झारखंड में अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा जीवन बचाने के प्रयास किये जा रहे है,जब हर जगह कोरोना से राज्य में डर एवं चिंता व्याप्त है, वही कोविड 19 आपदा की इस घड़ी में झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के नेतृत्व में कोरोना को नियंत्रित करने में सफलता पाई है, झारखंड में देश के 89.70 रिकवरी रेट से झारखंड का रिकवरी रेट 94.28 है जो देश के शीर्ष पाँच राज्यों की सूची में दर्ज है, जिसमें 46,662 से ज्यादा मरीज कोरोना को मात देकर स्वस्थ हुए है,जो सिर्फ झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के सटीक रणनीति एवं कुशल प्रबंधन के बदौलत सफलता मिली है, झारखंड में अस्पतालों को भी सरकार द्वारा तय शुल्क लेकर नियमो के तहत मरीजो के ईलाज करने के निर्देश दिये गए थे, जिससे अधिकांश अस्पतालों के द्वारा नियम को माना गया लेकिन 111 नर्सिंग होम एवं उमा सुपर स्पेसलिटी हॉस्पिटल के द्वारा सरकार के तय शुल्क से ज्यादा लेने की शिकायत पर झारखंड सरकार द्वारा आम जनता को तय शुल्क में इलाज नही कर ज्यादा बिल लेने की शिकायत पर इनकी जाँच के उपरांत कार्रवाई का आदेश दिया गया, लेकिन विधायक सरयू राय द्वारा सरकार की कानूनी कारवाई को गलत ठहराया जा रहा है, जो सरासर जनहित के विरुद्ध है , जनता की शिकायत पर अगर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा निष्पक्ष जाँच का आदेश देकर कार्रवाई नही की जाती तो यही सरयू राय जी भ्रष्टाचार को समर्थन देने का आरोप स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता जी पर लगाते क्योंकि इनका उद्देश्य जनता को निम्न शुल्क पर बेहतर सुविधाएं दिलाकर जान बचाने से ज्यादा अपने राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी बन्ना गुप्ता पर आरोप लगाकर असहज कर झारखंड सरकार को कटघरे में खड़ा करना है, भले अपने राजनैतिक उद्देश्य के लिये भ्रष्टाचारीयो से ही क्यों ना समझौता करना पड़े, मान्यवर अमिताभ बच्चन के शोले की तरह अपने पॉकेट में सिक्का रखकर आप ही कि चित एवं आप ही पट नही चलेगी, यह सरकार 3 करोड़ 29 लाख 90 हजार नागरिको को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिये संकल्पित जनता का जनता के लिये सरकार है। राज्य की जनता सरयू राय जी से जानना चाहती है कि 6000 हजार के बेड के शुल्क को 30 हजार लेना, प्रत्येक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए प्रत्येक घंटे का शुल्क चार्ज करना, बिना कागजातों के दवाईयो का इस्तेमाल,एवं रेमेडीसीवीर इंजेक्शन के लाखों रुपये चार्ज करना अमानवीय , अनैतिक एवं गैर कानूनी है या नही । अगर गलत है,तो फिर आपका सरकार के द्वारा निष्पक्ष कारवाई पर दुर्भावना के आरोप लगाने पर कई प्रश्न खड़े होते है।आपसे इस पत्र के माध्यम से जमशेदपुर की जनता यह जानना चाहती है कि आप अक्सर अपनी पसंद के अनुसार कतिपय सत्ताधारी नेताओं के कामकाज में भ्रष्टाचार खोजकर उसे लच्छेदार शब्दों में मीडिया के माध्यम से आम जनता के सामने लाते रहे हैं। कभी लालू प्रसाद यादव तो मधु कोड़ा। कभी रघुवर दास जैसे नेता आपके निशाने पर रहे हैं। नीतीश या मुंडा के शासन में आपको हरिश्चंद्र काल के दर्शन होते हैं। ऐसा मनचाहा दृश्य नजर आने का चश्मा कहां से लाते हैं आप?
माननीय राय जी, अपने लोगों के दाग आपको नजर नहीं आते और जहां आपकी दाल नहीं गलती वहां की रसोई की पूरी दाल को ही आप काला साबित करने में पूरी शक्ति झोंक देते हैं। सच तो यह है कि सत्ता के हमाम में आप भी उसी तरह नजर आते हैं जैसे बाकी दूसरे नेता। इनमें से अधिकांश की छवि आपकी पसंद की लांड्री या डिटरजेंट से साफ नहीं हो सकती। आपकी छवि भी इनसे अलग नहीं।
हर रोज मीडिया के विभिन्न प्रकल्पों से आपके हवाले या श्रीमुख से दूसरे के ऊपर सवालों की बौछार की जाती है या दूसरे की भ्रष्टाचार में संलिप्तता दिखाई जाती है।
महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि रहे बक्सर से आनेवाले माननीय सरयू राय जी आप गंगा जी को याद कर और अपने हृदय पर हाथ रख इन सवालों का सार्वजनिक रूप से जवाब देते तो नैतिकता की कसौटी पर आपका भ्रष्टाचार के खिलाफ योद्धा का चोला और चमकदार हो जाता। क्या आप मेरे इस पत्र के माध्यम से यह बताने का नैतिक साहस दिखाएंगे.
(1) ईमानदारी एवं नैतिकता की पाठ पढ़ाते हुए, अनफेयर मेडिकल प्रैक्टिस पर झारखंड सरकार स्वास्थ्य विभाग के पास जनता की शिकायत करने पर आदित्यपुर के 111 नर्सिंग होम पर सरकार की कार्रवाई पर आपति जताना भ्रष्टाचार का समर्थन करना है या नही है!
(2). कोरोना काल में कई अस्पतालों के खिलाफ शिकायत मिलने पर सरकार ने कार्रवाई की। आप सिर्फ आदित्यपुर के 111 सेव लाइफ अस्पताल के बचाव में क्यों आगे आए? बाकी अस्पतालों पर आपकी चुप्पी का राज क्या है?
(3) आप अक्सर भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का ऐलान करते हैं। कितने मामलों में आपकी यह जंग अंजाम तक पहुंची है?
(4) क्या जनता को बताना चाहेंगे कि आपने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में जमशेदपुर व झारखंड में किन किन लोगों या संस्थाओं या कंपनियों के खिलाफ आरोप लगाए और आज उन आरोपों पर आपका क्या स्टैंड है?
(5) टाटा स्टील से जुड़े मामलों समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर आप एक बार आमरण अनशन पर भी बैठे थे, क्या वे मांगें पूरी हो गई या वह आंदोलन किसी खास दबाब की राजनीतिक मकसद के लिए था?
(5) जनता जानना चाहती है कि जमशेदपुर पश्चिम के विधायक और फिर मंत्री रहते आपके कितने नजदीकी लोग एक बड़ी कंपनी में वेंडर बने या ठेकेदारी शुरू की,आपके एक नजदीकी रिश्तेदार की कंपनी में नॉकरी में लगाना एवं एक एनजीओ को बिस्टुपुर में क्वार्टर आवंटन क्या अनैतिक लाभ प्राप्त करने की श्रेणी में नही आता है।
(6) कंपनी क्वार्टर में आप रहते है, इसमे कंपनी की संवैधानिक बाध्यता नही है, फिर भी उपकार के बदले जनहित के मुद्दों पर मौन हो जाना नैतिक भ्रष्टाचार की किस श्रेणी में आता है यह जनता जानना चाहती है।
(7) टाटा स्टील समेत अन्य कंपनियों के खिलाफ रह रह कर आवाज उठाने के बाद भी बिना समाधान के शांत हो जाने के मकसद को जनता जानना चाहती है।
(8) चुनाव आयोग द्वारा विधान सभा में खर्च करने की अधिकतम सीमा 28 लाख तय की गई है। झारखंड विधानसभा चुनाव- 2019 में जिस प्रकार का तूफानी प्रचार आपने किया क्या वो 28 लाख की सीमा में था? तय सीमा रुपए 28 लाख से ज्यादा खर्च करना और चुनाव आयोग को कम खर्च दिखाना क्या भ्रष्ट्राचार के दायरे में नहीं आता है?
(9) झारखण्ड की पिछली 2014-19 सरकार में कैबिनेट मंत्री रहते हुए स्वयं अपनी ही सरकार की नीतियों का विरोध करते रहे पर मंत्रिमंडल से इस्तीफा नहीं दिया, अगर इस्तीफा देते तो आदर्श प्रस्तुत कर सकते थे।
(10) आप जानते होंगे की झारखंड में राज्य क्लीनिकल प्रतिष्ठान ( निबंधन और संचालन ) अधिनियम 2013 लागू है, इसकी धारा 11 के अनुसार गड़बड़ी मिलने पर निबंधित प्राधिकार उस अस्पताल या संस्थान का रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है, इसके अलावा अधिनियम की धारा 12 के उपखंड एक मे प्रावधान है कि अगर कोई चिकित्सकीय संस्थान ऐसा अपराध करता है तो उसके खिलाफ जुर्माना के साथ-साथ एफ आई आर भी दर्ज किया जा सकता है।ऐसे 111 नर्सिंग होम जैसे संस्थाओ का समर्थन भ्रष्टाचार का समर्थन नही है।
(11) आप समय समय पर नदियों के पानी का प्रदूषण जांच करते रहते हैं, पर आज तक ना कोई रिपोर्ट सार्वजनिक की और ना ही आपकी प्रदूषण जाँच पर आज तक किसी भी इंडस्ट्री के बारे में ना ही आप खुलकर बोले और ना ही इन पर कोई कार्रवाई हुई। कहीं ऐसा तो नहीं है टाटा स्टील के शानदार दो क्वाटरों में रह रहें हैं, टाटा कम्पनी की सारी सुविधाओं को प्राप्त कर समझौते को विवश हो जाना क्या यह सब नैतिक भ्रष्ट्राचार की श्रेणी में नहीं आता है, जनता यह जानना चाहती है।
इन सभी प्रश्नों का जबाब जनता प्राप्त करना चाहती है,आशा है आप के द्वारा सकारात्मक जबाब मिलेगा।
पत्र के जबाब के इंतजार में।