टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क ने स्वच्छता और सस्टेनेबल अभ्यासों के महत्व पर जागरूकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटक का किया आयोजन

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जमशेदपुर: स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर संदेश देने के लिए टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में एक विशेष नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। इस रचनात्मक पहल में केरला पब्लिक स्कूल कदमा के 11 प्रतिभाशाली छात्रों ने भाग लिया और अपने सशक्त अभिनय के माध्यम से स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और सस्टेनेबल अभ्यासों की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला।

प्रतियोगिता का आयोजन डॉ. नईम अख्तर (डेप्युटी डायरेक्टर), श्री हरि लाल भुसाल और श्रीमती अनीता रजक (केपीएस कदमा) के मार्गदर्शन में किया गया। रोटेरियन डॉ. विजया भरत और रोटेरियन सुश्री लक्ष्मी शरथ ने इस कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छात्रों ने कचरा निपटान, पुनर्चक्रण, और सतत जीवनशैली अपनाने की आवश्यकता से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर एक विचारोत्तेजक प्रस्तुति दी। उनके नाटक ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों की तात्कालिकता पर जागरूकता भी बढ़ाई।

टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क के डेप्युटी डायरेक्टर ने भी इस प्रकार की पहलों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह युवाओं में जिम्मेदारी की भावना पैदा करने में सहायक होती हैं। उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे इसी प्रकार पर्यावरण हितैषी अभ्यासों को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को जारी रखें।

छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए नाटक हफ्तों की कड़ी मेहनत और समर्पण का नतीजा थे। इस दौरान उन्होंने अपने मार्गदर्शक हरि लाल भुसाल और अनीता रजक के साथ मिलकर न केवल अपने अभिनय को निखारा, बल्कि कचरा प्रबंधन के गहन पहलुओं को भी समझा। नाटक में कचरे को स्रोत पर अलग करना, प्लास्टिक के उपयोग में कटौती, और सामुदायिक स्वास्थ्य में स्वच्छता की भूमिका को रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया।

वर्तमान पर्यावरणीय संकट के दौर में, ऐसे नाटक और प्रतियोगिताएं युवाओं के बीच सतत विकास की सोच को बढ़ावा देने में बेहद महत्वपूर्ण हैं। टाटा जू और केरला पब्लिक स्कूल कदमा ने इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों को पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने की प्रतिबद्धता जताई है, ताकि इन प्रयासों के माध्यम से न केवल छात्रों के भीतर जिम्मेदारी की भावना पैदा की जा सके, बल्कि उन्हें भविष्य के पर्यावरण संरक्षण के योद्धा के रूप में तैयार किया जा सके।

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