प्रधानमंत्री के स्टार्ट अप इंडिया के सपने को डूबा रहा सरायकेला जिला ड्रग ऑफिस, ढाई साल बाद भी नहीं मिला ड्रग लाइसेंस , उपायुक्त से होगी शिकायत…

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जमशेदपुर / सरायकेला :- स्टार्ट अप इंडिया के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि युवाओं को स्वरोजगार दिया जाए ताकि और भी लोगो को इसका फायदा मिल सकें। लेकिन कुछ ऐसे विभाग भी है जहां अधिकारी प्रधानमंत्री के इस सपने पर कालिख पोतने का काम कर रहे हैं। मामला सरायकेला जिला का है जहां पिछले ढाई साल से एक कागज के लिए अधिकारी के कार्यालय का चक्कर लगाते बीत गया लेकिन अधिकारी के कार्यालय में ताला लटका नजर आता है। मामला यह है कि सरायकेला जिले में दवा दुकान खोलने के लिए ड्रग लाइसेंस का अप्लाई किया गया है लेकिन पिछले तकरीबन ढाई साल से सिर्फ चक्कर ही लगाया जा रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर जया मैडम से इस मामले में बात करने पर या तो उनका फोन रिसीव नहीं होता है या फिर रिसीव करने पर भी सीधा बात नही किया जाता है। कई बार यह भी बोला गया है कि ऑफिस का स्टाफ आपसे संपर्क कर लेगा लेकिन रिजल्ट नदारद होता है। जबकि लगभग आधा काम पहले ही किया जा चुका है। ऑफिस के स्टाफ से अगर कभी बात भी होती है तो उनका कहना है कि फील्ड में डॉक्यूमेंट जमा करेंगे इसलिए आप कार्यालय लेकर नही आइएगा। इधर पिछले ढाई साल से इंतजार करते बीत गया लेकिन विभाग के द्वारा ना तो कुछ बताया जा रहा है और ना ही लाइसेंस दिया जा रहा है। पूर्व के स्टाफ को एक बार पूरा डॉक्यूमेंट दिया जा चुका था लेकिन उन्होंने डॉक्यूमेंट कहां रख दिया इस बात की जानकारी किसी को नही है। हालांकि उस स्टाफ की बदली भी हो गई इसलिए विभाग की ओर से भी पल्ला झाड़ दिया गया। वैसे जब ड्रग इंस्पेक्टर का ध्यान अप्लाई किए गए तारीख पर आकर्षित कराया गया तो उन्होंने उस पुराने रजिस्ट्रेशन को टेक्निकल हवाला देते हुए कैंसल कर दिया। क्योंकि उसका समय दो वर्ष पार हो चुका था, और फिर से एक नया रजिस्ट्रेशन नंबर दिया गया। लेकिन इस बार भी डेढ़ महीना पार हो चुका है। अब तक डॉक्यूमेंट जमा नहीं लिया गया है। ड्रग लाइसेंस के बारे मे पड़ताल की गई तो नाम नही छापने के शर्त पर बताया गया कि आम तौर पर एक से दो महीने में ड्रग लाइसेंस बन कर आ जाता है लेकिन उसके लिए लाइसेंस का रेट तय किया जाता है। पचास हजार से लेकर डेढ़ लाख तक का रेट ड्रग लाइसेंस के नाम पर चल रहा है लेकिन दलालों के जरिए। और अगर आप डायरेक्ट करना चाहते हैं तो फिर ऑफिस का चक्कर लगाते रहिए लेकिन कोई फर्क नही। हालांकि इस मामले में ड्रग इंस्पेक्टर या उनके कर्मचारी कुछ भी बोलने से बचते है। इस मामले में पीड़ित की ओर से उपायुक्त समेत उच्च अधिकारियों से शिकायत की जाने वाली है।

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