पुथंडु 2025: तमिल नववर्ष कब है? जानिए तिथि, समय और इस पर्व का महत्व…



लोक आलोक सेंट्रल डेस्क:तमिल समुदाय का प्रमुख पर्व पुथंडु इस वर्ष 14 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन तमिल पंचांग के अनुसार ‘चित्तिरै’ महीने का पहला दिन होता है और इसी दिन से तमिल नववर्ष की शुरुआत होती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन संक्रांति का क्षण सुबह 3:30 बजे होगा, जो सूर्योदय से पहले है। ऐसे में तमिल मान्यता के अनुसार यदि संक्रांति सूर्योदय से पहले होती है तो नववर्ष उसी दिन मनाया जाता है।


पुथंडु सौर पंचांग पर आधारित पर्व है, जिसमें केवल सूर्य की गति के अनुसार महीनों और दिनों की गणना होती है। भारत में प्रचलित दो प्रकार के पंचांगों — सौर और चंद्र-सौर — के कारण अलग-अलग राज्यों में नववर्ष की तिथियां अलग होती हैं। तमिलनाडु में इसे पुथंडु कहा जाता है, वहीं पंजाब में यह वैसाखी, बंगाल में नाबा बर्षा, ओडिशा में पणा संक्रांति और असम में बिहू के नाम से जाना जाता है।
पुथंडु केवल नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व का दिन भी है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं, पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं और खास व्यंजन जैसे मैंगो पचड़ी बनाते हैं। यह दिन नई शुरुआत, आशा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, लोग मंदिर जाकर भगवान से नए साल के लिए आशीर्वाद भी मांगते हैं।
तमिलनाडु के अलावा श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में बसे तमिल समुदाय भी इस पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। पुथंडु की ये परंपराएं न सिर्फ संस्कृति से जुड़ी हैं, बल्कि यह सामूहिकता, शुभकामनाओं और नई उम्मीदों का उत्सव भी है।
