‘पंचामृत योजना’ से बढ़ेगी गन्ने की पैदावार,

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लखनऊ: किसानों की आमदनी दोगुना करना सरकार का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को हासिल करने के दो मूलभूत मंत्र हैं. पहला न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन और दूसरा उत्पादन का उचित मूल्य. न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन में तकनीक की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

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प्रदेश में गन्ना किसानों की संख्या को देखते हुए गन्ने की खेती की लागत को कम करना और समय से गन्ना मूल्य भुगतान जरूरी हो जाता है. सरकार गन्ने का प्रति कुंतल मूल्य बढ़ाकर और गन्ने का रिकॉर्ड भुगतान कर यह काम कर रही है. अब सरकार का जोर न्यूनतम लागत में अधिक पैदावार के लिए खेती की नई तकनीक के साथ गन्ने के साथ सहफसली खेती को प्रोत्साहन दे रही है. इस क्रम में राज्य सरकार ने पिछले पेराई सत्र के लिए गन्ना समर्थन मूल्य गन्ने की खूबी के अनुसार बढ़ाया था.

गन्ने की खेती में नई तकनीक का प्रयोग कर उपज बढ़ाने के लिए गन्ना विभाग ने गन्ने की खेती के लिए “पंचामृत योजना” नाम से एक नई योजना शुरू की है. इसमें गन्ना बोआई की आधुनिक विधा ट्रेंच, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप इरीगेशन, मल्चिंग और सहफसल शामिल है. इसके नाते ही इसे पंचामृत नाम दिया गया है. इसमें हर चीज का अपना लाभ है.

मसलन ड्रिप इरीगेशन से पानी की खपत 50 से 60 फीसद कम हो जाएगी. जरूरत के अनुसार नमीं बरकरार रहने से पौधों की बढ़वार अच्छी होगी. पत्तियां मल्चिंग के काम आने से इनको जलाने और जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या हल हो जाएगी. कालांतर में ये पत्तियां सड़कर खाद के रूप में खेत को प्राकृतिक रूप से उर्वर बनाएंगी.

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शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए 15 सितम्बर से लेकर 30 नवम्बर तक का समय उपयुक्त होता है. इस सीजन के गन्ने की फसल का उपज भी बसंतकालीन गन्ने की खेती की तुलना में अधिक होता है. इस सीजन में बोए जाने वाले गन्ने के साथ किसान गन्ने की दो लाइनों के बीच आलू, गोभी, धनिया, मटर, लहसुन, टमाटर और गेंहू की सहफसली खेती कर सकते हैं.

शर्त यह है कि इन फसलों के लिए अतिरिक्त पोषक तत्व अलग से दें. इससे गन्ने की खेती की लागत निकल जाएगी. गन्ने की खेती से होने वाली आय अतरिक्त होगी. इस तरह किसानों की आय बढ़ जाएगी। पंचामृत विधा से जिन प्लाटों पर खेती की जाएगी उन्हें ही “आदर्श मॉडल” के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा.

आदर्श मॉडल प्लाटों की स्थापना हेतु शरदकालीन बुवाई का समय महत्वपूर्ण है तथा इस बुआई के अन्तर्गत प्रारम्भिक तौर पर प्रदेश में कुल 2028 कृषकों का चयन कर गन्ना खेती के आदर्श माडल प्लाट का लक्ष्य निर्धारित किया जा रहा है. इस प्लाट का रकबा 0.5 हेक्टेयर होगा. ऐसे प्रदर्शनों का मकसद यह होता है कि क्षेत्र के बाकी किसान भी इसे देखें और और अपनाएं. इसीलिए इस तरह के डिमांस्ट्रेशन प्रदेश के हर क्षेत्र में होंगे. पंचामृत योजना के अन्तर्गत समन्वित पद्धतियों एवं विधियों के लिए जिलेवार अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं.

गन्ना किसानों को गन्ने की सहफसली खेती और ट्रेंच विधि से की जाने वाली खेती को बढ़ावा देने वाली पंचामृत योजना अपनाने को प्रेरित किया जा रहा है. किसान इस योजना को अपना भी रहे हैं. शरद कालीन गन्ने की बुवाई करने वाले किसानों को जागरुक करने के लिए जिला गन्ना अधिकारी से लेकर गन्ना विभाग के अन्य अधिकारी गांव गांव किसानों के बीच जाकर उनको इस विधा के प्रति जागरूक कर रहे हैं. यह भी बता रहे हैं कि इस विधा से बेहतर उत्पादन लेने वाले कुछ किसानों को विभाग सम्मानित भी करेगा.

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