जैव विविधता और जैविक तरीको को अपना कर ही हम पृथ्वी की रक्षा के सकते है : डॉ. सीमा रानी

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पृथ्वी दिवस पर आधारित कार्यशाला का आयोजना

जमशेदपुर :  टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में आज पृथ्वी दिवस के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें प्राकृतिक रूप से जैविक कीटनाशक बनाने के तरीके के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में बिदू चन्दन ट्रस्ट और जल ज्योति फाउंडेशन ट्रस्ट से जुड़े ग्रामीण क्षेत्र के किसानों, महिलाओं और युवाओं ने भाग लिया।

कार्यक्रम में बताया गया कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से हमारे खेत और मिट्टी की उर्वरक क्षमता कैसे नष्ट हो रहे हैं। इसके अलावा बताया गया कि कैसे जैविक तरीके से हमारे खेतों और खलिहरों नीम, पपीते और अन्य पत्तों से हम प्राकृतिक कीटनाशक बना सकते हैं।

इस वर्ष पृथ्वी दिवस का थीम Our Power, Our Planet रखा गया है

इस कार्यशाला में प्राकृतिक कीटनाशक बनाने के तरीके के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि कैसे खेतों, घर में बगीचे में लेगे फसलों तथा सब्जियों के पौधों की उर्वरक क्षमता भी बढती है तथा   कीटनाशको से भी बचाव होता हैं।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य हमारे पर्यावरण में कीट पतंग की उपयोगिता कैसी कीटनाशक के प्रयोग से ख़त्म हो रही है जिसके कारण पृथ्वी को कितना नुकशान हो रहा है इसके महत्व के बारे में जागरूक करना था।

इस कार्यशाला की ट्रेनर रही डॉ. सीमा रानी, (जीव विज्ञानी सह शिक्षा अधिकारी) द्वारा दिया गया. इन्होंने बताया कि धरती के केवल 6 इंच की मिट्टी ही हमारे लिया उपयोगी है उसके नीचे की मिट्टी हमारे खेती के लिए  नहीं होती है। हमें ऐसे ही फसलों के पौधे को लगाने से पहले हमारे मिट्टी और पर्यावरण के लिए जो उपयोगी हो उसी को प्रयोग में लाना चाहिए।

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